भाई दूज हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व भाई-बहनों के संबंध को समर्पित होता है। इस साल भाई दूज 23 अक्टूबर, गुरुवार को पड़ रहा है और इसी दिन दिवाली का पंचदिवसीय उत्सव समाप्त होगा। भाई दूज के अवसर पर बहनें अपने भाइयों को रोली और अक्षत लगाकर उनकी लंबी उम्र और सफलता की कामना करती हैं।
भाई दूज का त्योहार हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और सफलता की कामना करती हैं। शास्त्रों में इसे शुभ मुहूर्त में करने का विशेष महत्व बताया गया है, जिससे भाई को तरक्की और खुशहाली मिलती है।
भाई दूज का महत्व
भाई दूज का त्योहार भाई-बहनों के प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है। यह कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनके लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं। शास्त्रों के अनुसार, भाई दूज पर विधिपूर्वक की गई पूजा से भाई के जीवन में सफलता, समृद्धि और सुरक्षा आती है। यह पर्व परिवार में भाई-बहन के रिश्तों को मजबूत करने और पारिवारिक एकता को बढ़ावा देने का अवसर भी होता है।
शुभ मुहूर्त
भाई दूज पर तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त शास्त्रों के अनुसार खास महत्व रखता है। भाई दूज इस साल 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर, बुधवार की रात 8 बजकर 17 मिनट से प्रारंभ होकर 23 अक्टूबर की रात 10 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी। इस तिथि के अनुसार भाई दूज का त्योहार 23 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा। इस दिन शुभ चौघड़िया मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 5 मिनट से 2 बजकर 54 मिनट तक और अमृत चौघड़िया मुहूर्त 1 बजकर 30 मिनट से 2 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। मान्यता है कि शुभ चौघड़िया में दोपहर के समय भाई दूज मनाना सबसे उत्तम होता है। वहीं, अमृत चौघड़िया में बहनों के हाथ से अन्न-जल लेना भी शुभ माना जाता है। ऐसा करने से भाई-बहन के रिश्ते मजबूत होते हैं।
पूजा विधि
- भाई दूज पर भाई-बहन के प्रेम और आशीर्वाद का महत्व सबसे अधिक माना जाता है।
- इस वर्ष पूजा विधि के अनुसार, सबसे पहले भाई को पूर्व दिशा की ओर और बहन को पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए।
- शुभ मुहूर्त में बहनें अपने भाइयों को आसन पर बिठाकर तिलक लगाती हैं।
- ध्यान रहे कि छोटे भाई को अंगूठे से और बड़े भाई को अनामिका उंगली से दीपशिखा के प्रकार तिलक लगाया जाता है।
- इसके बाद बहनें नारियल लेकर गोद में रखती हैं और भाई को भोजन कराती हैं।
- पूजा और तिलक के बाद बहनें भाई को वस्त्र और उपहार देती हैं।
- शास्त्रों के अनुसार विधि-पूर्वक पूजा करने से भाई की आयु, बल और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. MPNews इनकी पुष्टि नहीं करता है।
