वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की लखनऊ स्थित प्रयोगशालाओं ने प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों और आधुनिक विज्ञान के समन्वय से 13 नई हर्बल दवाओं का विकास किया है। इन दवाओं को मरीजों तक सुरक्षित और प्रभावी तरीके से पहुंचाने के लिए अब स्टार्टअप्स के माध्यम से काम शुरू किया गया है। इस पहल के तहत राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (NBRI), लखनऊ में दो दिवसीय कॉन्क्लेव का आयोजन भी किया गया, जिसमें इन दवाओं के उपयोग और संभावनाओं पर चर्चा की गई।
वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की लखनऊ स्थित प्रयोगशालाओं ने प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों और आधुनिक विज्ञान के समावेश से 13 नई हर्बल दवाओं का विकास किया है। इन दवाओं का उद्देश्य मधुमेह, कैंसर, फैटी लीवर जैसी गंभीर बीमारियों से लेकर सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं तक का समाधान करना है।
13 नई हर्बल दवाएं
वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों और आधुनिक विज्ञान को जोड़कर 13 नई हर्बल दवाओं का विकास किया है। इन दवाओं को अब स्टार्टअप्स के सहयोग से मरीजों तक सुरक्षित और प्रभावी तरीके से पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कॉन्क्लेव का उद्घाटन करते हुए बताया कि वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की लखनऊ स्थित तीन प्रमुख प्रयोगशालाओं, राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (NBRI), सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमेटिक प्लांट्स (CIMAP) और एक अन्य सहयोगी संस्थान ने मिलकर मधुमेह, कैंसर और फैटी लीवर जैसी गंभीर बीमारियों के लिए हर्बल आधारित नए उपचार विकसित किए हैं।
कई प्रमुख दवाएं
- वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की लखनऊ स्थित प्रयोगशालाओं ने कई प्रमुख हर्बल दवाएं विकसित की हैं।
- इनमें BGR-34 शामिल है, जो मधुमेह के इलाज के लिए बनाई गई है और दारुहरिद्रा, गिलोय, विजयसार, गुड़मार, मंजिष्ठा व मेथी जैसी जड़ी-बूटियों से तैयार की गई है।
- यह न केवल ब्लड शुगर नियंत्रित करती है, बल्कि डायबिटीज रिवर्सल में भी सहायक मानी जा रही है।
- इसी तरह, Paclitaxel को रक्त कैंसर के इलाज के लिए अर्जुन की छाल से विकसित किया गया है, जो एक नया विकल्प प्रदान करती है।
- वहीं, Picroliv फैटी लीवर और लीवर कैंसर के इलाज में कारगर पाई गई है और लीवर संबंधी बीमारियों के लिए प्रभावी साबित हो रही है।
विकास
कॉन्क्लेव में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हर्बल दवाओं का यह विकास ‘प्रयोगशाला से जनमानस तक’ की अवधारणा का सटीक उदाहरण है। उन्होंने स्टार्टअप्स और उद्योग जगत से आह्वान किया कि इन दवाओं को अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में प्रयास करें। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। उन्होंने प्रदर्शनी का अवलोकन किया और वैज्ञानिकों को नवाचार व अनुसंधान की इस राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
बढ़ी वैश्विक मांग
विशेषज्ञों का मानना है कि हर्बल और प्राकृतिक उपचारों की बढ़ती वैश्विक मांग के बीच भारत के पास प्रमाणित हर्बल फार्मूलों के जरिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में नेतृत्व करने का अवसर है। डॉ. संचित शर्मा के अनुसार, यह केवल दवा नहीं बल्कि विज्ञान और परंपरा का ऐसा मॉडल है, जो आने वाले वर्षों में वैश्विक हेल्थकेयर एजेंडा को दिशा दे सकता है। इसी क्रम में एनबीआरआई और सीमैप जैसी संस्थाएं औषधीय पौधों की उन्नत किस्मों पर शोध कर रही हैं, जिससे किसानों को अधिक उत्पादन और आय का लाभ मिलेगा तथा आमजन को सस्ती और दुष्प्रभाव रहित हर्बल दवाएं उपलब्ध हो सकेंगी।