ज्योतिष | हिंदू धर्म में सावन का महीना शिव भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र और विशेष महत्व रखता है, यह माह भगवान शिव को अत्यंत प्रिय माना जाता है। जिसमें शिव की आराधना से विशेष पुण्य और कृपा प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्रावण मास में भगवान शिव अपने परिवार सहित धरती पर आते हैं, इसी कारण यह महीना शिव आराधना के लिए सर्वोत्तम माना गया है। श्रद्धालु इस पूरे माह शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं,व्रत रखते हैं और मंत्रों का जाप करते हुए शिव भक्ति में लीन रहते हैं।
हिंदू धर्म में सावन को प्रेम, भक्ति और हरियाली का प्रतीक माना जाता है। यह माह देवों के देव महादेव की उपासना का विधान है। शास्त्रों के मुताबिक सावन का महीना भोलेनाथ का प्रिय महीना है, इस महीने में जो भी भक्त श्रद्धा भक्ति से पूजा करता है, भगवान शिव उनकी सारी मनोकामनएं पूरी करते हैं।
प्राप्त करें शिव की कृपा
सावन का महीना भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का उत्तम समय माना जाता है। इस दौरान किए गए धार्मिक उपाय और पूजन विशेष फलदायी होते हैं। उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य आचार्य आनंद भारद्वाज ने बतया कि, यदि सावन शुरू होने से पहले या सावन के पहले सोमवार तक कुछ विशेष शुभ वस्तुएं घर लाकर उचित विधि से पूजन किया जाए, तो जीवन की कई समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। आइए जानते हैं वे कौन-कौन सी वस्तुएं हैं…
घर लाने योग्य शुभ वस्तुएं
- भगवान शिव को नंदी बैल अत्यंत प्रिय हैं। वे न केवल उनके वाहन हैं, बल्कि उनके परम भक्त और सेवक भी हैं। यदि आप श्रावण मास में शिव की कृपा सहजता से प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस पवित्र मास के आरंभ से पूर्व नंदी जी की एक सुंदर प्रतिमा अपने घर के मंदिर में स्थापित करें। प्रतिदिन नंदी पर पुष्प अर्पित करें और उन पर जल चढ़ाये,
- पारद शिवलिंग (Mercury Shivling) हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है। यह पारद यानी पारे से बना होता है, जिसे विशेष प्रक्रिया द्वारा ठोस रूप में ढाला जाता है। पारद शिवलिंग को घर में स्थापित करना अत्यंत शुभ और फलदायक माना गया है। भगवान शिव का प्रतीक – पारद शिवलिंग स्वयं शिव का जीवंत रूप माना गया है। इसकी पूजा से शिव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
- बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से शिवजी प्रसन्न होते हैं और पापों का नाश होता है। त्रिदल (तीन पत्तियों वाला) बेलपत्र त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) का प्रतीक माना जाता है।
- रुद्राक्ष भगवान शिव के नेत्रों से उत्पन्न माने जाते हैं। रुद्राक्ष माला जप और ध्यान के लिए उपयोग होती है, विशेषकर “ॐ नमः शिवाय” जैसे मंत्रों का जाप करने के लिए होता है। माला पहनने से ऊर्जा संतुलन, मानसिक शांति और स्वास्थ्य लाभ मिलता है। इसे शिव का आशीर्वाद स्वरूप माना जाता है। इन्हें धारण करना या पूजन स्थान में रखना विशेष फलदायक है।
- धतूरा का फूल और फल भगवान शिव को अत्यंत प्रिय माना जाता है। शिवलिंग पर इसे अर्पित करने से शिव कृपा प्राप्त होती है और विष दोष, रोग और शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है। पौराणिक मान्यता अनुसार समुद्र मंथन के समय जब हलाहल विष निकला, तब भगवान शिव ने उसे ग्रहण कर लिया। माना जाता है कि धतूरा विष का प्रतीक है, इसलिए शिव को यह अर्पित किया जाता है।
- भगवान शिव के हाथ में जो डमरू रहता है, वह केवल एक वाद्य नहीं बल्कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीक है। सावन से पहले डमरू घर लाएं और पूजा करते समय डमरू बजाएं। पूजा के बाद इसे मंदिर में ही रखें। मान्यता है कि इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और वास्तु दोष भी शांत होता है।
पूजन विधि
- हर सोमवार को व्रत रखें और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
- मंदिर या घर में दीपक जलाकर शिव चालीसा पढ़ें।
- शिवजी को सफेद फूल, भस्म (राख), और पंचामृत विशेष प्रिय हैं।
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. MPNews इनकी पुष्टि नहीं करता है.