करवा चौथ की सरगी, प्यार-परंपरा और स्वाद से भरा सुहागिनों का पहला उपहार

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Published On: 6 October 2025

करवा चौथ का त्योहार भारतीय विवाहित महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। इस दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। लेकिन इस व्रत की शुरुआत होती है सरगी से। सरगी वो पहला आशीर्वाद होता है जो सास अपनी बहू को सुबह सूर्योदय से पहले देती है। इसमें खाने-पीने की चीज़ों के साथ सास का प्यार और आशीर्वाद भी शामिल होता है।

सरगी सिर्फ भोजन नहीं होती, बल्कि यह एक भावनात्मक रिश्ता दर्शाती है — सास और बहू के बीच अपनापन, परंपरा और आदर का प्रतीक। इसे सुहागिन महिलाएं सूरज उगने से पहले खाती हैं, ताकि पूरे दिन ऊर्जा बनी रहे और व्रत को बिना थकान पूरा किया जा सके। सरगी की थाली में मिठाइयों से लेकर फल, मेवे और पूरियों तक सबकुछ सजाया जाता है।

सरगी में क्या-क्या होता है?

  1. फलों का कटोरा:
    मौसमी फल जैसे केला, सेब, अंगूर, अनार आदि सरगी का ज़रूरी हिस्सा होते हैं। ये दिनभर शरीर को ऊर्जा देते हैं।

  2. मिठाई:
    मिष्ठान में जलेबी, रसगुल्ला, लड्डू या सेवइयां रखी जाती हैं। मिठाई ऊर्जा और शुभता का प्रतीक मानी जाती है।

  3. सूखे मेवे:
    बादाम, काजू, किशमिश और अखरोट जैसी चीज़ें सरगी में ज़रूर होती हैं। ये पूरे दिन भूख को कंट्रोल करती हैं और ताकत देती हैं।

  4. पूरी और सब्जी:
    कुछ घरों में सादा आलू की सब्जी और पूरी बनाई जाती है, जिससे सुबह पेट भरा रहे।

  5. सेवइयां (वर्मिसेली):
    यह करवा चौथ की पहचान बन चुकी है। दूध और सूखे मेवों से बनी सेवइयां मीठी सरगी की शान होती हैं।

  6. नारियल और पान:
    ये पारंपरिक तौर पर शुभ माने जाते हैं और सास इन्हें सरगी की थाली में रखती हैं।

  7. चाय या दूध का गिलास:
    व्रत शुरू करने से पहले हल्की चाय या दूध लेना जरूरी माना जाता है ताकि दिनभर कमजोरी महसूस न हो।

सरगी थाली सजाने का तरीका

एक बड़ी थाली लें और उसमें केले के पत्ते या सुंदर नैपकिन बिछाएं। फिर थाली में पूरियां, मिठाई, फल, सूखे मेवे, सेवइयां और नारियल सजाएं। बीच में एक दीपक रखें और थाली को सास के आशीर्वाद से सजाकर बहू को दें।

सरगी खाने का समय और परंपरा

सरगी सूर्योदय से पहले यानी ब्रह्ममुहूर्त में खाई जाती है। इसे खाते समय बहू अपनी सास का आशीर्वाद लेती है और उनके दीर्घायु की कामना करती है। यह परंपरा रिश्तों में मिठास और सम्मान बनाए रखने का प्रतीक मानी जाती है।

सर्विंग टिप

सरगी हमेशा सच्चे मन और शुद्ध भाव से खानी चाहिए। साथ ही दिनभर पानी, चाय या कुछ भी खाने से पहले चांद निकलने की प्रतीक्षा करनी होती है। सरगी जितनी सुंदर दिखती है, उसका भावनात्मक महत्व उससे कहीं ज़्यादा होता है।

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