हाथों की खूबसूरती का नया अंदाज; त्योहारों की शान, लोगों के हाथों में लाया रंगों की बौछार “मेंहदी”

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Published On: 2 July 2025

लाइफस्टाइल | भारतीय परंपरा में मेंहदी को बहुत शुभ माना जाता है। मेंहदी हर तीज-त्योहार, विवाह, करवा चौथ, रक्षाबंधन, ईद, दिवाली जैसे पर्वों में लगाई जाती है। लोग हर खुशियों के जश्न की शुरआत 1 दिन पहले से ही हाथों में मेंहदी लगाकर करते हैं। हिन्दू धर्म में लोग हर छोटे बड़े त्योहारों में मेहदी लगाते हैं, इसलिए लोग मेंहदी को त्योहारों की शान भी कहते है। मेंहदी लगाने से हाथो की सुंदरता और भी ज़्यादा बढ़ जाती हैं।

मेंहदी केवल रंग नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा, प्रेम और सौंदर्य की अभिव्यक्ति है। यह त्योहारों में जोश भरती है, रिश्तों में मिठास लाती है और हाथों की खूबसूरती को एक नया आयाम देती है।

प्यार का प्रतीक

मेंहदी के रंगों से नयी नवेली दुल्हन की पहचान होती है। मेंहदी लगाने से दुल्हन के हाथों में और भी ज़्यादा निखार आती है। शादी के मौके पर दुल्हन के हाथों में गहरी मेंहदी रचती है, जिसे प्रेम, समर्पण और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। लोग कहते है कि जितनी गहरी मेंहदी रचती है, दूल्हा-दुल्हन से उतना ही ज़्यादा प्यार होता है। यह प्यार के प्रतिक को दर्शाती है मेंहदी। इसलिए भारतीय परंपरा में मेंहदी को प्रेम, समर्पण और सौंदर्य का अनमोल संगम कहा जाता है।

मेंहदी का महत्व

भारतीय संस्कृति में मेंहदी को अत्यंत शुभ और पावन माना गया है। यह हर तीज-त्योहार, खुशियों के विशेष अवसरों की रौनक होती है। किसी भी खुशियों भरे आयोजन की शुरुआत अक्सर एक दिन पहले ही हाथों में मेंहदी रचाकर की जाती है। मेंहदी भारतीय संस्कृति और परंपरा में एक विशेष स्थान रखती है। यह न केवल सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि सुंदरता, शुभता, प्रेम और समृद्धि का भी प्रतीक मानी जाती है।

मेंहदी से स्वास्थ्य के लाभ

  • त्वचा की ठंडक: मेंहदी में प्राकृतिक ठंडक देने वाले गुण होते हैं, जो गर्मियों में त्वचा को राहत देते हैं।
  • बालों की देखभाल: मेंहदी बालों को मजबूत बनाती है, डैंड्रफ कम करती है और सफेद बालों को प्राकृतिक रंग देती है।
  • घावों और जलन में उपयोगी: इसके औषधीय गुण त्वचा पर जलन या घाव होने पर लाभदायक माने जाते हैं।

मेंहदी न केवल सुंदरता को बढ़ाती है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत और भावनात्मक मूल्यों को भी समृद्ध बनाती है। यह एक ऐसी परंपरा है, जो पीढ़ियों से चली आ रही है और आज भी उतनी ही प्रासंगिक है।

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