ज्योतिष | सावन मास में हरे रंग का विशेष महत्व है, और इसके पीछे धार्मिक, सांस्कृतिक व प्राकृतिक तीनों ही दृष्टियों से गहराई से जुड़ी मान्यताएँ हैं। विशेष रूप से सुहागिन महिलाएं इस मास में हरी चूड़ियां, हरी साड़ी और हरे वस्त्र पहनती हैं। इसके पीछे कई धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताएं जुड़ी हैं। हरा रंग जीवन, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस माह में हरे रंग का प्रयोग करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम, स्थिरता और सुख-समृद्धि बनी रहती है तथा देवी पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
श्रावण मास हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र और भक्तिभाव से परिपूर्ण महीना होता है, जो भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है। इस मास में हरे रंग का विशेष महत्व है।
शीतलता का प्रतिक
हिन्दू धर्म में श्रावण मास या सावन को भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक माह माना गया है। श्रावण मास के दौरान प्रकृति अपनी पूर्ण छटा बिखेरती है, चारों ओर हरियाली छा जाती है और वातावरण शीतल और पावन हो उठता है। यह ऋतु परिवर्तन और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा के आगमन का संकेत भी देती है।
हरे रंग का महत्व
सावन के महीने में वर्षा ऋतु अपने चरम पर होती है। बारिश से धरती हरियाली से भर जाती है—पेड़-पौधे, खेत-खलिहान और वनस्पति सभी हरे रंग में रंग जाते हैं। ऐसे में हरा रंग प्रकृति के सौंदर्य और जीवनदायिनी ऊर्जा का प्रतीक बन जाता है।
हिंदू धर्म में यह विश्वास है कि भगवान शिव को हरियाली अत्यंत प्रिय है। वे कैलाश पर्वत पर प्रकृति की गोद में निवास करते हैं। इसलिए हरे रंग को शिव भक्ति से जोड़ा गया है, और विशेष रूप से सावन में श्रद्धालु हरे वस्त्र पहनकर पूजा करते हैं।
सावन का महीना सुहागिन महिलाओं के लिए भी विशेष होता है। वे हरियाली तीज और मंगलवार के व्रत, सोमवार के व्रत आदि में हरे रंग की साड़ी, चूड़ियां और बिंदी पहनती हैं। यह रंग अखंड सौभाग्य, प्रेम और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। बहुत से महिलाये पुरे सावन भर हरी साड़ी, हरी शूट, हरी चूड़िया, पहनती है।
हरे रंग को आयुर्वेद और योग में भी मन को शांत करने वाला, संतुलन बढ़ाने वाला और सकारात्मक ऊर्जा देने वाला रंग माना गया है। सावन जैसे आध्यात्मिक समय में यह रंग साधना और भक्ति में मन को एकाग्र करने में सहायक होता है।
कांच की चूड़ियों का विशेष महत्व
सावन के पवित्र महीने में कांच की चूड़ियां पहनने की परंपरा खास महत्व रखती है, खासकर महिलाओं के लिए। श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि इस महीने में हरे रंग की चूड़ियां और वस्त्र पहनने से भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न होते हैं। कांच की चूड़ियों की खनक एक प्रकार की श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक मानी जाती है। कांच की चूड़ियों से निकलने वाली मधुर ध्वनि वातावरण में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने का कार्य करती है।
भारतीय संस्कृति में चूड़ियां विवाहित महिलाओं के सौभाग्य का प्रतीक होती हैं। सावन में हरी चूड़ियां पहनना अखंड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र की कामना से जुड़ा हुआ है। यही कारण है कि सुहागिनें खास तौर पर इसे पहनती हैं।
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों पर आधारित हैं. MPNews इनकी पुष्टि नहीं करता है.