MP हाईकोर्ट ने बाघों के अवैध शिकार और उनके अंगों की अंतरराष्ट्रीय तस्करी में शामिल दो आरोपियों को बड़ी राहत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने दोनों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं। ये दोनों आरोपी मिजोरम और मेघालय के रहने वाले हैं। एक बड़े अंतरराष्ट्रीय गिरोह का हिस्सा बताए जा रहे हैं, जो बाघों के दांत, नाखून, खाल और हड्डियों को विदेशों में बेचता था।
मामला फरवरी और मार्च 2025 का है, जब मध्य प्रदेश स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स ने महाराष्ट्र फॉरेस्ट टीम के सहयोग से इन दोनों को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद निचली अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज की थी, जिसे अब हाईकोर्ट ने भी खारिज कर दिया।
2015 से सक्रिय है गिरोह
जांच में सामने आया कि यह गिरोह 2015–16 से मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के जंगलों में सक्रिय था। आरोपियों की पहचान मिजोरम के आइजोल निवासी जामखानकाप और मेघालय के शिलांग निवासी लालनेसंग हमार के रूप में हुई है। बताया गया कि गिरोह अब तक करीब 40 से 50 बाघों का शिकार कर चुका है। वे इनके अवशेषों को नॉर्थ ईस्ट के रास्ते म्यांमार और फिर चीन भेजते थे, जहां इनकी ऊंची कीमत मिलती थी।
चीन में खरीदार इन बाघों की हड्डियों और खाल को दवाएं और पारंपरिक चाइनीज मेडिसिन बनाने में इस्तेमाल करते थे। लालनेसंग ने खुद को भारतीय सेना का पूर्व कर्मचारी बताया था। जांच एजेंसियों को शक है कि वह इस पहचान का इस्तेमाल गिरोह की गतिविधियां छिपाने के लिए करता था।
संयुक्त कार्रवाई में कई गिरफ्तारियां
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के वन विभागों ने मिलकर इस नेटवर्क पर बड़ी कार्रवाई की है। अब तक करीब 10 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। आरोपियों की गतिविधियां विशेष रूप से बालाघाट, नर्मदापुरम (एमपी) और चंद्रपुर (महाराष्ट्र) के जंगलों में केंद्रित थीं।
मंगलवार को न्यायमूर्ति अचल कुमार पालीवाल की एकल पीठ ने कहा कि अपराध अत्यंत गंभीर प्रकृति का है और इसका प्रभाव पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण पर सीधा पड़ता है। इस आधार पर दोनों आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी गईं।
शासकीय अधिवक्ता ऋत्विक पाराशर ने कोर्ट में कहा कि अगर ऐसे अपराधियों को रिहा किया गया तो वन्यजीव संरक्षण पर नकारात्मक असर पड़ेगा। कोर्ट ने सहमति जताते हुए कहा कि यह मामला सामान्य नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय अपराध से जुड़ा है, इसलिए जमानत नहीं दी जा सकती।