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भोपाल के बड़े तालाब में गुरुवार से दौड़ेंगे 20 शिकारे, पर्यटकों को मिलेगा डल झील जैसा अनुभव

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Published On: 3 December 2025

भोपाल का बड़ा तालाब गुरुवार से एक नई पहचान हासिल करने जा रहा है। यहां पहली बार 20 शिकारे एक साथ तालाब में उतारे जाएंगे, जो श्रीनगर की प्रसिद्ध डल झील जैसा अनुभव देंगे। मुख्यमंत्री मोहन यादव सुबह 9 बजे इस परियोजना का शुभारंभ करेंगे। उद्घाटन कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और पर्यटन मंत्री धर्मेंद्र लोधी सहित दोनों दलों के कई विधायक मौजूद रहेंगे। शुभारंभ के बाद से आम लोग भी शिकारे की सवारी का आनंद ले सकेंगे। नगर निगम ने पिछले साल एक शिकारे का प्रायोगिक संचालन किया था। उसे मिले सकारात्मक रिस्पॉन्स के बाद अब 20 शिकारे एक साथ संचालन में लाए जा रहे हैं।

शिकारे सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक चलेंगे और लगभग 2.3 किलोमीटर का राउंड पूरा करेंगे। इससे पर्यटक तालाब के बीच स्थित छोटे टापू के काफी करीब तक जा सकेंगे। प्रति व्यक्ति किराया लगभग 150 रुपये रखा गया है, हालांकि इसका अंतिम निर्णय उद्घाटन के दिन तय होगा।

प्रदूषण रहित तकनीक

ये सभी शिकारे आधुनिक और पर्यावरण-अनुकूल तकनीक से तैयार किए गए हैं। इनका निर्माण ‘फाइबर रीइन्फोर्स्ड पॉलीयूरिथेन’ और उच्च गुणवत्ता वाली नॉन-रिएक्टिव सामग्री से किया गया है, जो पानी में किसी भी तरह की रासायनिक प्रतिक्रिया नहीं होने देती। अधिकारियों का दावा है कि इससे तालाब की पारिस्थितिकी पूरी तरह सुरक्षित रहेगी। इन शिकारों का निर्माण उसी संस्था ने किया है जो केरल, बंगाल और असम में भी पर्यटक शिकारों का निर्माण करती रही है।

केवल शिकारा सवारी ही नहीं, बल्कि इसमें बैठकर लोग बर्ड वॉचिंग, दूरबीन से तालाब का नजारा, स्थानीय व्यंजन, हैंडीक्राफ्ट, ऑर्गेनिक सब्जियां और फल खरीदने का अनुभव भी ले सकेंगे। इससे स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा और पर्यटकों को एक नई गतिविधि का विकल्प भी मिलेगा।

शुरू हुआ नया अध्याय

बता दें कि दो वर्ष पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भोज वेटलैंड, नर्मदा सहित प्रदेश की सभी वेटलैंड में क्रूज और मोटर बोट संचालन पर रोक लगा दी थी। NGT ने कहा था कि डीजल इंजन से निकलने वाले प्रदूषक पानी को एसिडिक बनाते हैं, जिससे मानव और जलीय जीवों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इसी आदेश के बाद बड़े तालाब में चल रहे ‘लेक प्रिंसेस’ क्रूज और ‘जलपरी’ मोटरबोट को बंद कर दिया गया था।

क्रूज बंद होने से मायूस लोग

क्रूज बंद होने से बोट क्लब की रौनक काफी कम हो गई थी। पहले यहां रोजाना हजार से ज्यादा लोग क्रूज और मोटर बोट की सवारी के लिए आते थे। इनके बंद होने से लोगों को पारंपरिक नावों पर ही निर्भर रहना पड़ा। अब शिकारे शुरू होने से शहरवासियों और पर्यटकों को फिर से नया और आकर्षक विकल्प मिलने जा रहा है।

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