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AAP का सवाल, विकास या विनाश; प्राकृतिक आपदाओं के बीच चुनावी रैलियों में व्यस्त सत्ता

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Published On: 4 September 2025

आम आदमी पार्टी (AAP) मध्यप्रदेश ने हिमालयी राज्यों में लगातार आ रही प्राकृतिक आपदाओं को लेकर केंद्र सरकार पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता इंजी. नवीन कुमार अग्रवाल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड जैसी जगहों पर बादल फटना, भूस्खलन और बाढ़ ने हजारों लोगों की जान ले ली, गांव के गांव उजड़ गए, लाखों लोग प्रभावित हुए, लेकिन देश का शीर्ष नेतृत्व और मीडिया दोनों ही मौन बने हुए हैं।

विकास ने दिया आपदा को न्योता

अग्रवाल ने कहा कि पहाड़ों और नदियों को अवैध खनन, सुरंगों के अंधाधुंध निर्माण और जंगलों की कटाई के हवाले कर दिया गया है। नदियों के किनारे ऊंची इमारतें खड़ी की जा रही हैं, जिससे उनका प्राकृतिक बहाव संकरा हो गया है। पर्यटन और सड़क निर्माण के नाम पर पहाड़ों को काटा जा रहा है और प्रकृति से इस तरह का छेड़छाड़ अब मौत बनकर लौट रही है। उन्होंने चेताया कि जब तक यह प्रवृत्ति नहीं रुकेगी, तब तक हर साल ऐसी आपदाएं और बड़ी होती जाएंगी।

आपदा में गायब सत्ता

AAP प्रवक्ता ने कहा कि दुख की बात है कि आपदा प्रभावित राज्यों में सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों मौतें हो चुकी हैं, करोड़ों की संपत्ति नष्ट हो गई है, लेकिन केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री आपदा बैठकें करने के बजाय चुनावी रैलियों और विदेश दौरों में व्यस्त हैं। उन्होंने कहा, “पहले एक राज्य में भी आपदा आती थी तो प्रधानमंत्री और मंत्री मौके पर पहुंचते थे, राहत कार्यों की समीक्षा करते थे। लेकिन आज सब कुछ इतिहास बन गया है। अब सरकार का मकसद सिर्फ चुनाव जीतना रह गया है।”

उन्होंने मीडिया पर भी सवाल उठाए और कहा कि “छोटी घटनाओं पर शोर मचाने वाला तथाकथित गोदी मीडिया इतनी बड़ी आपदा पर चुप है। क्या हजारों मौतें और बर्बाद हुआ जनजीवन राष्ट्रीय मुद्दा नहीं है? लोकतंत्र का चौथा स्तंभ सत्ता की चुप्पी में सहभागी क्यों बना हुआ है?”

समाधान क्या?

अग्रवाल ने कहा कि यदि सरकार वास्तव में आपदाओं को रोकना चाहती है तो अवैध खनन, नदियों के किनारे निर्माण, सुरंगों और बांधों के अंधाधुंध प्रोजेक्ट और जंगलों की कटाई पर तत्काल रोक लगानी होगी। साथ ही स्थानीय पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए विकास योजनाएं बनानी होंगी।

उन्होंने कहा कि AAP जनता की आवाज बनकर यह सवाल लगातार उठाती रहेगी कि आखिर कब तक विकास के नाम पर प्रकृति से खिलवाड़ किया जाएगा और उसकी कीमत आम जनता को अपनी जान देकर चुकानी पड़ेगी।

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