भोपाल में अब मध्यप्रदेश के मरीज भी जटिल सर्जरी के लिए बड़े शहरों या विदेश जाने की जरूरत महसूस नहीं करेंगे। AIIMS भोपाल में जल्द ही दा विंची रोबोटिक आर्म सिस्टम स्थापित होगा, जिससे यह प्रदेश का पहला सरकारी अस्पताल बनेगा, जहां रोबोट की मदद से सर्जरी की जाएगी। इस तकनीक को एम्स में स्थापित करने के लिए नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड ने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के तहत आर्थिक सहायता देने का निर्णय लिया है। दोनों संस्थानों के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह सेटअप “राइज” (रोबोटिक एसिसटेड इंटरवेंशन फॉर सर्जिकल एक्सीलेंस) प्रोजेक्ट के तहत तैयार होगा। प्रोजेक्ट का मकसद ज्यादा सुरक्षित और सटीक सर्जरी देना है।
मध्यप्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एमओयू में हिस्सा लिया। एम्स निदेशक डॉ. माधवा नंदकर और एनसीएल के सीएसआर विभाग के महाप्रबंधक राजीव रंजन भी उपस्थित रहे।
कैसे काम करेगा रोबोट
यह सिस्टम 3 हिस्सों में काम करेगा एक कंसोल और दो रोबोटिक आर्म। डॉक्टर कंसोल से कमांड देंगे और ऑपरेशन थिएटर में मौजूद रोबोटिक आर्म आदेशों के अनुसार सर्जरी करेगा। इसमें एक मोबाइल रोबोटिक आर्म भी होगा, जिसे किसी भी जगह ले जाकर ऑपरेशन किया जा सकेगा। इससे भोपाल के डॉक्टर विदेश में बैठे मरीज का भी ऑपरेशन कर सकेंगे।
शुरुआती विभाग
एम्स के यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टर केतन मेहरा ने ऑस्ट्रिया से रोबोटिक सर्जरी का कोर्स पूरा किया है। शुरुआत यूरोलॉजी विभाग से होगी, जिसमें प्रोस्टेट कैंसर, किडनी और पेशाब की थैली के कैंसर जैसी जटिल सर्जरी की जाएगी। धीरे-धीरे अन्य विभागों में भी इसका इस्तेमाल किया जाएगा।
सुविधाएं
- सर्जरी छोटे चीरे से होगी, बड़े कट की जरूरत नहीं।
- मरीज का खून कम बहेगा और रिकवरी जल्दी होगी।
- डॉक्टर जटिल अंगों तक आसानी से पहुंच पाएंगे।
- यह तकनीक मरीज के लिए ज्यादा सुरक्षित और कारगर साबित होगी।
मांग में तेजी
एम्स के डिप्टी डायरेक्टर संदेश जैन ने बताया कि बीमारियों की जटिलता बढ़ने के कारण रोबोटिक सर्जरी की मांग तेजी से बढ़ रही है। पारंपरिक सर्जरी की तुलना में यह तकनीक ज्यादा प्रभावी और सुरक्षित है। एम्स भोपाल में इस सिस्टम के आने से मध्यप्रदेश के मरीज अब आधुनिक और सुरक्षित सर्जरी का लाभ घर के पास ही ले सकेंगे।
