भोपाल रेलवे स्टेशन पर शनिवार को आयोजित “अमृत संवाद” कार्यक्रम में यात्रियों ने खुलकर अपनी बात रखी। किसी ने ट्रेन में ओवर चार्जिंग का मुद्दा उठाया, तो किसी ने स्लीपर कोच में बढ़ती भीड़ पर सवाल दागे। कई यात्रियों ने रेलवे स्टाफ के रवैये और सफाई व्यवस्था को लेकर भी अपने अनुभव साझा किए।
मंडल रेल प्रबंधक डीआरएम पंकज त्यागी और सीनियर डीसीएम सौरभ कटारिया ने सभी शिकायतें गंभीरता से सुनीं और भरोसा दिलाया कि रेलवे यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा को लेकर लगातार सुधार की दिशा में काम कर रहा है।
यात्रियों ने जताई नाराजगी
बेंगलुरु के यात्री मनी कंटा ने बताया कि हाल ही में उन्होंने बेंगलुरु एक्सप्रेस से सफर किया, लेकिन स्लीपर क्लास में जनरल डिब्बे जैसी भीड़ थी। टिकट होते हुए भी उनकी सीट पर कोई और बैठा था, शिकायत करने पर समाधान में आठ घंटे लग गए। उन्होंने कहा, “यह न सिर्फ असुविधाजनक है, बल्कि सुरक्षा के लिए भी खतरा है। इस पर डीआरएम त्यागी ने जवाब दिया। हमारी कोशिश है कि यात्रियों की बढ़ती मांग के अनुसार ट्रेनें बढ़ाई जाएं। फिलहाल, सभी रूटों पर नई ट्रेनों की व्यवस्था संभव नहीं है, लेकिन जल्द ही सुधार दिखेगा।”
ओवर चार्जिंग का मुद्दा
पुणे के पन्ना लाल ने बताया कि नर्मदा एक्सप्रेस के जनरल कोच में आधा हिस्सा पार्सल से भरा था और बाकी आधे में सौ से अधिक यात्री ठुंसे हुए थे। उन्होंने रेल नीर की बोतल की ओवर चार्जिंग का मामला भी उठाया। उन्होंने कहा, “14 रुपये की बोतल के 20 रुपये वसूले जा रहे थे। विरोध करने पर मैनेजर ने माफी तो मांगी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।”
इस पर डीआरएम ने कहा कि रेलवे इस तरह की शिकायतों पर सख्त कार्रवाई करता है। उन्होंने यात्रियों से अपील की, “अगर किसी को ओवर चार्ज किया जाए या गलत व्यवहार मिले तो तुरंत हेल्पलाइन पर शिकायत करें। जब जनता जागरूक होगी, तभी व्यवस्था सुधरेगी।”
मानवता सीखें रेलवे कर्मचारी
लखनऊ के आनंद चौबे, जो सेना से जुड़े हैं, ने भावनात्मक अंदाज़ में कहा, “रेलवे स्टाफ को यात्रियों के प्रति थोड़ा मानवीय व्यवहार अपनाना चाहिए। स्टेशन के वेटिंग लाउंज में कोई यात्री सो रहा हो तो आरपीएफ बार-बार न जगाए। उनका काम यात्री की पहचान जांचना है, उसे परेशान करना नहीं।”
इस पर सीनियर डीसीएम सौरभ कटारिया ने कहा, “आपकी बात वाजिब है। हम स्टाफ को निर्देश देंगे कि यात्रियों से विनम्र व्यवहार करें। हालांकि सुरक्षा कारणों से सतर्कता भी जरूरी है।”
कार्यक्रम के अंत में अधिकारियों ने कहा कि इस तरह के संवाद रेलवे और यात्रियों के बीच विश्वास का पुल बनाने का काम करते हैं। यात्रियों की हर शिकायत रेलवे के भविष्य के सुधार का हिस्सा बनेगी। भोपाल में हुए इस अमृत संवाद ने एक बात साफ कर दी। यात्रियों की आवाज़ अब रेलवे तक पहुंच रही है और सुधार की शुरुआत बातचीत से ही होगी।
