बालाघाट | जिले के सोनेवानी कंजर्वेशन रिजर्व, लालबर्रा में बाघिन की संदिग्ध मौत और उसके शव को जलाकर साक्ष्य नष्ट करने के मामले ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस सनसनीखेज मामले में आरोपित दो वनकर्मी डिप्टी रेंजर टीकाराम हनोते और वनरक्षक हिमांशु घोरमारे अब तक फरार हैं। स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स (STSF), भोपाल ने इन दोनों पर 5-5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है।
जानें मामला
जानकारी के अनुसार, घटना 27 जुलाई को सामने आई थी, जब सोनेवानी कंजर्वेशन रिजर्व के कालागोटा नाले में एक मृत बाघिन का शव मिला। नियम के अनुसार, शव का पोस्टमार्टम कर रिपोर्ट दर्ज की जानी चाहिए थी, लेकिन आरोप है कि संबंधित वनकर्मियों ने मामले को दबाने की कोशिश की। बताया जाता है कि तीन दिन तक शव को छिपाकर रखा गया और फिर 30 जुलाई को उसे जलाकर साक्ष्य मिटाने का प्रयास किया गया। इस लापरवाही और कथित साजिश ने मामले को और भी गंभीर बना दिया।
विभागीय स्तर पर गड़बड़ियां
STSF की जांच में खुलासा हुआ कि इस प्रकरण में विभागीय स्तर पर भी गड़बड़ियां की गई हैं। घटना के बाद छह सुरक्षा श्रमिक हरिलाल इडपाचे, मानसिंह सलामे, देवसिंह कुमरे, शिवकुमार धुर्वे, शैलेश धुर्वे और अनुज सिरसाम को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। वहीं, मुख्य भूमिका में रहे दोनों वनकर्मी फरार हैं और लगातार स्थान बदलते हुए गिरफ्तारी से बचने की कोशिश कर रहे हैं।
बारीकी से जांच जारी
STSF जबलपुर की टीम मामले की बारीकी से जांच कर रही है। फरार आरोपियों को पकड़ने के लिए कई नोटिस जारी किए जा चुके हैं और उनके संभावित ठिकानों पर दबिश दी जा रही है। साथ ही, आम नागरिकों से अपील की गई है कि अगर इन दोनों फरार वनकर्मियों के संबंध में कोई जानकारी मिलती है तो तत्काल विभाग को सूचित करें। सूचना देने वाले व्यक्ति का नाम और पहचान गोपनीय रखी जाएगी।
भ्रष्टाचार का उदाहरण
यह मामला केवल वन्यजीव अपराध का नहीं, बल्कि विभागीय लापरवाही और भ्रष्टाचार का भी बड़ा उदाहरण माना जा रहा है। बाघ संरक्षण के लिए प्रसिद्ध बालाघाट में इस तरह की घटना ने प्रशासन की साख पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। अब देखने वाली बात होगी कि STSF कितनी जल्दी फरार वनकर्मियों को गिरफ्तार कर पाती है और क्या इस पूरे प्रकरण में शामिल अन्य जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई होती है।
