किसानों के हित में MP सरकार ने सोयाबीन फसल के लिए भावांतर भुगतान योजना लागू की है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को बाजार में मिलने वाले मूल्य और सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के बीच का अंतर भरना है। इसका फायदा सीधे किसानों के बैंक खाते में पहुंचेगा। योजना के तहत, पंजीकृत किसान अपनी उपज मंडियों में सामान्य प्रक्रिया के अनुसार बेचेंगे।
अगर सोयाबीन का मूल्य समर्थन मूल्य से कम बिकेगा, तो अंतर की राशि किसान के खाते में सीधे जमा कर दी जाएगी। इससे किसानों को घाटे से बचाव होगा और उन्हें उत्पादन लागत का उचित लाभ मिलेगा।
पंजीकरण
किसानों को योजना का लाभ लेने के लिए पंजीकरण अनिवार्य है। पंजीकरण 3 अक्टूबर से 22 अक्टूबर तक किया जा सकेगा। इसे किसान सहकारी समितियों, CSC केंद्र या एमपी ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से कर सकते हैं। भोपाल जिले में 26 सेवा सहकारी समितियों और करोंद मंडी में किसान अपना पंजीकरण कर सकते हैं।
भुगतान प्रक्रिया
सोयाबीन का विक्रय 24 अक्टूबर से 15 दिसंबर तक मंडियों में किया जाएगा। मंडी के अभिलेखों के आधार पर उपज का सत्यापन होगा। इसके बाद मॉडल मूल्य और MSP के अंतर की राशि किसान के खाते में जमा की जाएगी। इस वर्ष सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5328 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है।
भावान्तर योजना के माध्यम से किसानों को ₹1000 भी देना होगा, तो सरकार देगी। pic.twitter.com/SXdUmejYa6
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) October 3, 2025
कलेक्टर भोपाल कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने निर्देश दिए हैं कि मंडी और कृषि विभाग किसानों को योजना के बारे में पूरी जानकारी दें और उन्हें लाभान्वित करने के लिए जागरूक किया जाए। भोपाल जिले में इस समय लगभग 1,10,000 हेक्टेयर में सोयाबीन बोई गई है और मंडियों में लगभग एक लाख टन सोयाबीन बिकने की संभावना है।
योजना का उद्देश्य
इस योजना का मुख्य मकसद किसानों को बाजार की अनिश्चितता से बचाना और उनकी उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करना है। इससे किसानों को नुकसान कम होगा और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। सरकार ने सभी किसानों से समय पर पंजीकरण कर योजना का लाभ लेने का अनुरोध किया है। योजना लागू होने से किसानों को सोयाबीन की बिक्री में सीधे लाभ मिलेगा और उन्हें आर्थिक सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।