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भोपाल: आरटीआई अधिनियम की 20वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस ने जताई चिंता, कहा ये बात

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Published On: 12 October 2025

मध्य प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में “सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम की 20वीं वर्षगांठ” के अवसर पर आयोजित प्रेस वार्ता में जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रवीण सक्सेना, आरटीआई प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पुनीत टंडन और प्रदेश प्रवक्ता मिथुन अहिरवार ने मीडिया को संबोधित किया।

प्रवीण सक्सेना ने कहा कि 12 अक्टूबर 2005 को यूपीए सरकार और सोनिया गांधी के नेतृत्व में आरटीआई अधिनियम लागू हुआ, जिसका उद्देश्य नागरिकों को सार्वजनिक संस्थाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना था। उन्होंने बताया कि आरटीआई ने गरीब और हाशिए पर बसे लोगों को राशन, पेंशन और छात्रवृत्तियों तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभाई।

कांग्रेस की चेतावनी

सक्सेना ने कहा कि 2014 के बाद आरटीआई लगातार कमजोर किया जा रहा है। 2019 के संशोधन ने सूचना आयोगों की स्वतंत्रता पर चोट की और कार्यपालिका का दखल बढ़ाया। साथ ही, 2023 में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम ने आरटीआई की धारा 8(1)(j) में बदलाव कर “व्यक्तिगत जानकारी” को इतने व्यापक स्तर पर प्रतिबंधित कर दिया कि अब सार्वजनिक धन और कार्यों की जानकारी भी छिपाई जा सकती है।

सक्सेना ने बताया कि केंद्रीय और राज्य सूचना आयोगों में रिक्तियों और लंबित मामलों की संख्या चिंता पैदा कर रही है। जून 2024 तक 29 राज्य आयोगों में लगभग 4,05,000 अपीलें लंबित थीं। वहीं, केंद्रीय सूचना आयोग में 23,000 मामले लंबित थे।

आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा पर संकट

कांग्रेस ने यह भी चेताया कि आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमले और धमकियाँ बढ़ रही हैं। उदाहरण के तौर पर भोपाल की पर्यावरणविद् शहला मसूद और भूमि घोटाले उजागर करने वाले सतीश शेट्टी पर हमले हुए। व्हिसलब्लोअर्स प्रोटेक्शन अधिनियम पारित होने के बावजूद लागू नहीं किया गया, जिससे सुरक्षा का तंत्र पूरी तरह से नाकारा है।

कांग्रेस की मांगें

  • 2019 के संशोधनों को निरस्त कर आयोगों की स्वतंत्रता बहाल करें।
  • डिजिटल डेटा अधिनियम की धाराओं की समीक्षा कर आरटीआई उद्देश्य सुनिश्चित करें।
  • सभी रिक्तियों को पारदर्शी और समयबद्ध प्रक्रिया से भरें।
  • आयोगों में कार्य निष्पादन मानक और सार्वजनिक रिपोर्टिंग लागू करें।
  • व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन अधिनियम को पूरी तरह लागू करें।
  • आयोगों में विविधता सुनिश्चित हो, पत्रकार, महिला और कार्यकर्ता शामिल हों।

सक्सेना ने कहा कि आरटीआई आधुनिक भारत के सबसे महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक सुधारों में से एक है और इसकी कमजोरी लोकतंत्र की कमजोरी है। कांग्रेस ने 20वीं वर्षगांठ पर आरटीआई की रक्षा और सशक्तिकरण के संकल्प को दोहराया।

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