देश के दूसरे सबसे साफ शहर का खिताब जीतने के बाद भोपाल नगर निगम के दफ्तर की गंदगी ने लोगों को हैरान कर दिया है। निगम कार्यालय के कोने-कोने में तंबाकू और गुटखे के दाग दिखाई दे रहे हैं। दीवारें बेरंग और बाथरूम गंदे हैं। रोजाना हजारों लोग अपने काम के लिए यहां आते हैं, लेकिन दफ्तर की हालत देखकर उनकी परेशानी बढ़ जाती है।
नगर निगम के प्रथम तल पर स्थित रजिस्ट्रार ऑफिस के आसपास गंदगी साफ दिखाई देती है। सीढ़ियों के हर कोने में गुटखे और तंबाकू के दाग हैं, और बाथरूम की हालत इतनी खराब है कि महिलाएं और बच्चे इसे इस्तेमाल नहीं कर सकते। जन्म-मृत्यु शाखा के पास का बाथरूम भी गंदगी से भरा है। फर्स्ट फ्लोर पर पंजीयन कार्यालय के सामने भी तंबाकू और गुटखे के दाग देखे गए।
असली हालत
हाल ही में भोपाल ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 में 12,067 अंक प्राप्त कर देश का दूसरा सबसे साफ शहर बनने का गौरव हासिल किया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महापौर मालती राय और निगम आयुक्त हरेंद्र नारायण को सम्मानित किया। लेकिन निगम का खुद का दफ्तर गंदा होने से यह उपलब्धि लोगों के सामने सवाल खड़ा करती है।
जनता की नाराजगी
दफ्तर में रोजाना करीब 1000 से ज्यादा लोग आते हैं। उनका कहना है कि यदि निगम अपने कर्मचारियों और कार्यालय की सफाई का ध्यान नहीं रख सकता, तो पूरे शहर को स्वच्छ रखना कैसे संभव होगा। कई लोग पूछ रहे हैं कि शहर के स्वच्छता अभियान सिर्फ दिखावा तो नहीं है।
निगम की प्रतिक्रिया
एमआईसी मेंबर आरके सिंह बघेल ने कहा कि अधिकारियों और कर्मचारियों को लगातार सफाई पर ध्यान देना चाहिए। यदि दफ्तर में कहीं कोई कमी है, तो उसे जल्द दूर किया जाएगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि शिकायतों को गंभीरता से लिया जाएगा और सुधार होगा।
क्या जरूरी है?
नगर निगम शहर में डोर-टू-डोर कचरा संग्रह, वैज्ञानिक प्रोसेसिंग प्लांट, 143 पब्लिक टॉयलेट और कचरा कैफे जैसी व्यवस्थाएं चला रहा है। लेकिन खुद के दफ्तर की गंदगी यह दिखाती है कि जवाबदेही और जागरूकता में कमी है। भोपाल के नागरिक अब उम्मीद कर रहे हैं कि नगर निगम अपने कार्यालय से उदाहरण पेश करेगा और शहर की सफाई को और मजबूती देगा।
