भोपाल शहर की स्ट्रीट लाइटें दिवाली से पहले पूरी तरह जल उठीं। पिछले कई दिनों से शहर के अलग-अलग हिस्सों में अंधेरा रहा, क्योंकि कुल 65 हजार स्ट्रीट लाइटों में से लगभग 15 हजार बंद थीं। इसके अलावा 5 हजार पोल ऐसे थे जिन पर लाइट लगी ही नहीं थी। यानी शहर के करीब 30% इलाके कई दिन तक अंधेरे में थे। इनमें बड़े-छोटे इलाके दोनों शामिल थे।
स्थिति गंभीर होने के बाद महापौर मालती राय ने अफसरों की बैठक बुलाई और कहा कि दिवाली से पहले सड़कों में अंधेरा नहीं रहना चाहिए। इसके बाद नगर निगम और स्मार्ट सिटी टीम ने पिछले दो दिनों में तेजी से काम किया। एमआईसी मेंबर राजेश हिंगोरानी ने बताया कि तकनीकी वजहों से लाइटें बंद थीं, अब सुधार कर दी गई हैं और लोगों को दिक्कत नहीं होगी।
कहां थी बंद लाइटें?
सभी बड़ी सड़कें और कॉलोनियां शामिल थीं। भोपाल-इंदौर रोड, बैरागढ़ मार्केट, वेस्ट प्राइज, डीआईजी बंगला, अरेरा कॉलोनी, न्यू मार्केट, शाहपुरा, शिवाजी नगर, मोती मस्जिद, टीटी नगर, जेपी नगर, रापड़िया और कई अन्य इलाकों में लाइटें नहीं जल रही थीं। अब इन सभी जगहों पर लाइटें ठीक कर दी गई हैं।
कितनी लाइटें बदलने की जरूरत
शहर में कुल 5 हजार पोल नए लगे हैं, लेकिन लाइट नहीं लगी। 18 हजार लाइटें पुरानी हो चुकी हैं। 14 हजार एलईडी में से केवल 7 हजार ही गारंटी में हैं। हर दिन औसतन 1,500 से 2,000 लाइटें खराब हो जाती हैं। शहर को लगभग 30 हजार नई स्ट्रीट लाइट की जरूरत है, लेकिन छह महीने पहले टेंडर निकलने के बावजूद कोई एजेंसी काम के लिए नहीं आई।
कॉलोनियों और रख-रखाव
भोपाल में करीब 1,300 वैध कॉलोनियां हैं। इनमें से 70% में स्ट्रीट लाइटें हैं और कॉलोनियों के अंदर की लाइट ठीक करना निगम की जिम्मेदारी है। हर महीने बिजली बिल पर 2.75 करोड़, वेतन पर 24 लाख और रख-रखाव पर 50 लाख खर्च होते हैं।
निगम का पूर्व प्रयास
फरवरी में जीआईएस सर्वे के दौरान निगम ने करीब 5 करोड़ रुपए खर्च कर 300 नई पोल लाइटें लगाईं। शहर के 13 प्रमुख चौराहों पर हाई मास्ट लाइटें स्थापित की गईं। बावजूद इसके, दिवाली पर शहर के कई हिस्सों में अंधेरा रहा, जिसे अब सुधार लिया गया है।
