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Bhopal News: भोपाल दिसंबर से बनेगा मेट्रो सिटी, शुरू के दिनों में मुफ्त सफर

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Published On: 5 December 2025

राजधानी भोपाल अब मध्यप्रदेश की दूसरी मेट्रो सिटी बनने की दहलीज पर है। दिसंबर में मेट्रो के कमर्शियल रन की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। कमिश्नर ऑफ मेट्रो रेल सेफ्टी (CMRS) टीम फाइनल निरीक्षण पूरा कर चुकी है और प्रोजेक्ट को ग्रीन सिग्नल दे दिया गया है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने की संभावना है।

कमर्शियल रन से पहले किराए को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया भी तेज हो गई है। फेयर कलेक्शन कमेटी गठित की जा चुकी है और एमपी नगर स्टेशन पर प्रारंभिक किराया सूची चस्पा कर दी गई है। मेट्रो कॉर्पोरेशन ने आधिकारिक घोषणा से दूरी बनाए रखी है, पर संकेत साफ हैं कि इंदौर की तर्ज पर ही किराया संरचना लागू की जाएगी।

शुरू के दिनों में मुफ्त सफर

अफसरों ने पुष्टि की कि मेट्रो शुरू होने के बाद पहले सात दिन यात्रियों को टिकट नहीं खरीदना होगा। वहीं, शुरुआती तीन महीनों में किराए पर 75%, 50% और 25% की छूट दी जाएगी। छूट अवधि खत्म होने के बाद न्यूनतम किराया 20 रुपए और अधिकतम किराया 80 रुपए रखा जा सकता है। हालांकि, यह अधिकतम किराया तभी लागू होगा जब ऑरेंज लाइन का पूरा 16 किलोमीटर का रूट (एम्स से करोंद तक) तैयार हो जाएगा।

पहले फेज में 6 KM रूट पर मेट्रो

भोपाल में सुभाष नगर से एम्स तक करीब 6.22 किलोमीटर के प्राथमिक कॉरिडोर पर मेट्रो चलाई जाएगी। शेष हिस्सा यानी सुभाष नगर से करोंद तक का दूसरा फेज अगले 2 से 3 वर्ष में तैयार होने की उम्मीद है। इस बीच ट्रायल रन में मेट्रो को 30 से 80 किमी प्रतिघंटा की गति से चलाया जा रहा है। तकनीकी परीक्षण के लिए कुछ चरणों में 100-120 किमी प्रतिघंटा तक की स्पीड भी अपनाई गई।

टिकटिंग सिस्टम ट्रेन जैसा होगा

ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम (AFC) की जिम्मेदारी संभालने वाली तुर्की की कंपनी ‘असिस गार्ड’ का टेंडर रद्द होने के बाद टिकटिंग व्यवस्था फिलहाल मैन्युअल मोड में ही संचालित होगी। यही व्यवस्था पिछले छह महीनों से इंदौर मेट्रो में भी लागू है। नई कंपनी के लिए टेंडर जारी किया गया है, पर पूरी चयन प्रक्रिया में दो से तीन महीने लग सकते हैं। ‘असिस गार्ड’ पर काम में देरी और गंभीर तकनीकी विवादों के कारण मेट्रो कॉर्पोरेशन ने अगस्त में अनुबंध रद्द कर दिया था। AFC सिस्टम के तहत कार्ड आधारित प्रवेश, स्वचालित गेट और फेयर डेडक्शन की पूरी जिम्मेदारी इसी कंपनी पर थी। अब नई कंपनी के आने तक भोपाल में भी मैन्युअल टिकट ही एकमात्र विकल्प रहेगा। इसके लिए अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती की जा रही है

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