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गांवों को आत्मनिर्भर बनाने MP सरकार की बड़ी योजना, हर जिले में बनेगा एक ‘वृन्दावन गांव’

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Published On: 1 July 2025

भोपाल | MP के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में आम लोगों से जुड़ी कई अहम योजनाओं को मंजूरी दी गई। इनमें सबसे बड़ा फैसला ‘मुख्यमंत्री वृन्दावन ग्राम योजना’ को लेकर लिया गया है, जिसका मकसद प्रदेश के गांवों को आत्मनिर्भर बनाना है। इसके अलावा, क्षतिग्रस्त पुलों के पुनर्निर्माण, राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय की स्थापना और छात्रों के लिए मेस सुविधा जैसे कई फैसले भी किए गए।

‘वृन्दावन गांव’

सरकार ने तय किया है कि हर जिले में एक ऐसे गांव को चुना जाएगा जिसकी आबादी कम से कम 2000 हो और जहां 500 या उससे ज्यादा गायें हों। इस गांव को ‘वृन्दावन गांव’ के रूप में विकसित किया जाएगा, जहां गौशाला, डेयरी, जैविक खेती, सौर ऊर्जा, साफ-सफाई, जल संरक्षण, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य की बेहतर व्यवस्था की जाएगी। इन गांवों को इस तरह तैयार किया जाएगा कि वे अन्य गांवों के लिए मिसाल बनें।

यातायात होगा सुगम

इन गांवों में बच्चों के लिए पोषण वाटिका और स्कूल, युवाओं के लिए स्वरोजगार और प्रशिक्षण, ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए होम-स्टे, किसानों के लिए सिंचाई और ड्रिप सिस्टम, तथा महिलाओं के लिए छोटे उद्योग शुरू करने जैसी सुविधाएं होंगी। गांव की सफाई के लिए वाहन, बायोगैस संयंत्र और हर घर में जल आपूर्ति जैसी व्यवस्थाएं भी की जाएंगी। बैठक में यह भी तय किया गया कि प्रदेश में 1766 पुराने और टूटे-फूटे पुलों को फिर से बनाया जाएगा। इसके लिए अगले 5 वर्षों में 4572 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इससे गांवों और शहरों के बीच बेहतर सड़क संपर्क मिलेगा और यातायात सुगम होगा।

राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय की स्थापना

एक और महत्वपूर्ण फैसला यह लिया गया कि भोपाल में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी। अभी यह विश्वविद्यालय गुजरात के गांधीनगर में है। अब इसका एक परिसर भोपाल में भी खुलेगा। इसके लिए आरजीपीवी की 10 एकड़ जमीन दी जाएगी। जब तक स्थायी भवन बनता है, तब तक अस्थायी भवन से इसका संचालन होगा।

बैठक में छात्रों के लिए बड़ी राहत की भी घोषणा की गई। पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के 108 छात्रावासों में रहने वाले करीब 9000 छात्रों के लिए अब नियमित मेस (खाना) की सुविधा शुरू की जाएगी। इसके लिए सरकार ने 31 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। इसके अलावा, 1266 नए पदों की भी मंजूरी दी गई है, ताकि प्रदेश में लागू हो रहे नए कानूनों को सही तरीके से लागू किया जा सके। इनमें फॉरेंसिक साइंस से जुड़े विशेषज्ञ भी शामिल होंगे। मध्यप्रदेश इन नए कानूनों को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।

3 नवगठित जिलों- मऊगंज, मैहर और पांढुर्णा में जनजातीय और अनुसूचित जाति कार्यालय भी खोले जाएंगे। इसके लिए कुल 48 पद स्वीकृत किए गए हैं और सालाना करीब 3.81 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

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