भोपाल | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर विवादित कार्टून बनाने वाले कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली। न्यायमूर्ति सुभाष अभ्यंकर की एकल पीठ ने मंगलवार को उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा का उल्लंघन है और आरोपी से हिरासत में पूछताछ आवश्यक है।
FB पर किया था शेयर
मालवीय ने फेसबुक पर एक कार्टून शेयर किया था, जिसमें आरएसएस को इंसानी रूप में दिखाया गया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्टेथेस्कोप और इंजेक्शन के साथ पीछे से आरएसएस को इंजेक्शन लगाते हुए दर्शाया गया। इस कार्टून को लेकर शिकायतकर्ता विनय जोशी ने लसूड़िया थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जो स्वयं हाईकोर्ट में अधिवक्ता और संघ से जुड़े स्वयंसेवक हैं।
धार्मिक आस्थाओं को चोट: जोशी
जोशी का कहना है कि यह कार्टून जानबूझकर सार्वजनिक भावनाओं को भड़काने और धार्मिक आस्थाओं को चोट पहुंचाने के इरादे से साझा किया गया। उन्होंने बताया कि कार्टून में न सिर्फ संघ और प्रधानमंत्री को अमर्यादित तरीके से दर्शाया गया, बल्कि भगवान शिव को लेकर भी टिप्पणी की गई है। जोशी ने यह मामला तब देखा जब वह इस्कॉन मंदिर से दर्शन करके लौट रहे थे और मोबाइल पर मालवीय की फेसबुक पोस्ट पर नजर पड़ी।
लगी ये धारा
इस मामले में मालवीय के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं 196, 299, 302, 352, 353 (2) और आईटी एक्ट की धारा 67(A) के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। अदालत ने यह भी माना कि प्रथम दृष्टया धारा 41(1)(b) CrPC के तहत गिरफ्तारी उचित है। सुप्रीम कोर्ट के ‘अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य’ फैसले का हवाला देने की दलील को भी खारिज कर दिया गया।
पहले भी विवादों में रहे मालवीय
हेमंत मालवीय पहले भी कई बार विवादास्पद पोस्ट और कार्टून के कारण पुलिस कार्रवाई का सामना कर चुके हैं। प्रधानमंत्री की मां के निधन के बाद उन्होंने एक टिप्पणी पोस्ट की थी, जिस पर बीजेपी युवा मोर्चा ने नाराजगी जताते हुए थाने में शिकायत दी थी। उस मामले में मालवीय पर धारा 188 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था।
इसके अलावा, बाबा रामदेव ने भी हरिद्वार के कनखल थाने में मालवीय के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। अब हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि मालवीय को पुलिस पूछताछ का सामना करना होगा।
