भोपाल | मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश में “एक बगिया मां के नाम” योजना की शुरुआत की घोषणा की है, जिसके अंतर्गत 30 हजार एकड़ भूमि पर स्व-सहायता समूह की 30 हजार महिलाओं को Horticulture के माध्यम से आजीविका का नया माध्यम उपलब्ध कराया जाएगा।
लगभग 900 करोड़ रुपए की लागत से फल उद्यान विकसित होंगे, जिसमें 30 लाख पौधे रोपे जाएंगे। हितग्राहियों को पौधे, खाद, गड्ढे खोदने, तार फेंसिंग और जल कुंड निर्माण के लिए सहायता दी जाएगी। महिलाओं को उद्यानिकी का प्रशिक्षण भी मिलेगा। मुख्यमंत्री ने मंत्रि-परिषद की बैठक से पूर्व अपने संबोधन में जल गंगा संवर्धन अभियान की सफलता के लिए सभी को बधाई दी।
सरोवरों का निर्माण शुरू
इसके अंतर्गत, खेतों में 85 हजार से अधिक तालाब और 1 लाख से अधिक कुओं का पुनर्भरण किया गया। शहरी क्षेत्रों में 3300 जल स्रोतों का पुनर्जीवन, 2200 नालों की सफाई तथा 4000 वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण हुआ। अमृत सरोवर 2.0 के तहत, 1000 से अधिक सरोवरों का निर्माण शुरू हुआ।
“एक बगिया मां के नाम” परियोजना
(15 अगस्त से 15 सितंबर 2025 तक)सशक्त नारी
आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदमपरियोजना अंतर्गत प्रदेश की 30 हजार से अधिक स्व-सहायता समूह की महिलाओं को एक एकड़ जमीन पर फलदार पेड़ लगाकर बगिया विकसित करने के लिए ₹3 लाख की सहायता प्रदान की जाएगी… pic.twitter.com/Bvs392BdmS
— Jansampark MP (@JansamparkMP) July 1, 2025
40 लाख नागरिकों ने लिया भाग
5000 से अधिक धार्मिक जल स्रोतों की सफाई में 40 लाख नागरिकों ने भाग लिया और 2.3 लाख जलदूतों का पंजीयन किया गया। 15 हजार से अधिक जल संरचनाएं राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज की गईं। नर्मदा परिक्रमा पथ और पंचकोशी यात्रा जैसे मार्गों का डिजिटलीकरण हुआ। साथ ही, अवरिल निर्मल नर्मदा योजना के अंतर्गत 5600 हेक्टेयर में पौधरोपण की योजना स्वीकृत की गई। वन्यजीवों के लिए 2500 से अधिक जल संरचनाएं बनीं।
6 करोड़ पौधे तैयार
मानसून में रोपण हेतु 6 करोड़ पौधे तैयार हैं। 1 जुलाई से 15 सितंबर तक “एक पेड़ मां के नाम” अभियान चलेगा, जिसके अंतर्गत 100 नदियों के उद्गम स्थलों की 10-10 एकड़ भूमि पर पौधारोपण होगा। सभी जिलों में जिला विकास सलाहकार समितियां गठित की जाएंगी, जिनमें जन प्रतिनिधियों के साथ चिकित्सा, कृषि, इंजीनियरिंग, उद्यानिकी, डेयरी आदि क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होंगे।