MP की लाड़ली बहना योजना से जुड़ी महिलाओं के लिए बड़ी खबर आई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सिवनी में एक बटन दबाकर 1 करोड़ 26 लाख 36 हजार से ज्यादा महिलाओं के खाते में 1500 रुपए प्रति माह की नई किस्त ट्रांसफर की। अब तक महिलाओं को हर महीने 1250 रुपए मिलते थे, लेकिन कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसमें 250 रुपए की बढ़ोतरी की गई है। एक साथ 1587 करोड़ रुपए की राशि महिलाओं के खातों में भेजी गई।
कार्यक्रम के दौरान सीएम का चुटीला अंदाज भी देखने को मिला। उन्होंने एक महिला के पति से हंसते हुए कहा, “जीजाजी, आप हमारी बहन को डराते तो नहीं? पैसे तो नहीं ले लेते उनसे?” इस पर महिला के पति ने जवाब दिया, “नहीं, मैं एडवोकेट हूं, स्टेशनरी की दुकान चलाता हूं और पत्नी खुद उसमें मदद करती हैं।” लोगों में ठहाके गूंज उठे।
मुख्यमंत्री ने मजाकिया लहजे में कांग्रेस पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा, “कांग्रेस के लोग कहते हैं कि बहनों के पति पैसे दारू में उड़ा देते हैं।” इस पर महिलाओं ने एक साथ कहा, “नहीं ऐसा नहीं है!”
योजना का नाम नहीं बदलेगा
कुछ दिनों से चर्चा थी कि ‘लाड़ली बहना योजना’ का नाम बदलकर ‘देवी सुभद्रा योजना’ रखा जा सकता है। खुद सीएम ने भाई दूज कार्यक्रम के दौरान ऐसा इशारा भी दिया था, लेकिन सिवनी में उन्होंने साफ कर दिया कि नाम नहीं बदलेगा। महिला एवं बाल विकास विभाग की आयुक्त निधि निवेदिता ने भी इस बात से इनकार किया कि योजना का नाम बदलने की कोई प्रक्रिया चल रही है।
60 साल के बाद नहीं मिलेगा लाभ
योजना के नियमों के अनुसार, 60 साल की उम्र पूरी होने पर हितग्राही स्वतः अपात्र हो जाएंगी। सामाजिक न्याय विभाग समग्र आईडी के सत्यापन का काम लगातार कर रहा है। अधिकारियों का कहना है कि सत्यापन के कारण इस माह की किस्त में कोई देरी नहीं होगी।
मेरी बहनों, अब से हर महीने आपके खाते में आएंगे ₹1,500…
आज सिवनी में ‘लाड़ली बहना योजना’ के अंतर्गत 1.26 करोड़ से अधिक बहनों के खातों में ₹1,857 करोड़ से अधिक की राशि का सिंगल क्लिक के माध्यम से अंतरण किया।
सभी लाड़ली बहनों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।… pic.twitter.com/HweoaYHOfg
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) November 12, 2025
अब तक 44 हजार करोड़ से ज्यादा ट्रांसफर
इस योजना की शुरुआत जून 2023 में पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में हुई थी। तब से अब तक सरकार 29 किस्तों में 44,900 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि महिलाओं को दे चुकी है। सरकार का मकसद सिर्फ आर्थिक मदद देना नहीं, बल्कि महिलाओं को स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता से जोड़ना है। गांव और शहरों में महिलाओं को छोटे कारोबार, प्रशिक्षण और योजनाओं से जोड़ा जा रहा है।
