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MP में कांग्रेस और सियासी हलचल, किसान विवाद ने सरकार को घेरा

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Published On: 14 October 2025

MP में हाल ही में एक बार फिर किसान मुद्दा सियासी हलचल का केंद्र बन गया है। सागर जिले के देवरी क्षेत्र से एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें किसान को थप्पड़ मारते हुए अधिकारियों की तस्वीरें सामने आई हैं। यह घटना उस समय की है जब किसान सरकारी खाद लेने के लिए आवेदन करने आए थे। वीडियो ने राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर तीव्र प्रतिक्रिया उत्पन्न की है। विपक्ष ने इसे मोहन सरकार के किसान विरोधी रवैये का उदाहरण बताया है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अन्नदाता किसानों के साथ यह व्यवहार सरकार की असंवेदनशीलता को उजागर करता है।

सागर के देवरी क्षेत्र में किसानों का कहना है कि उन्हें खाद के लिए बार-बार आवेदन करना पड़ता है और प्रशासनिक प्रक्रिया में उन्हें उचित सहायता नहीं मिलती। इस बीच, एक किसान के साथ अधिकारी ने कथित रूप से भेदभावपूर्ण और हिंसक व्यवहार किया, जिसे वीडियो में स्पष्ट देखा जा सकता है।

किसानों का आरोप है कि उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से दबाव बनाया जा रहा है, और उनका स्वाभिमान ठेस पहुंच रही है। उन्होंने यह भी कहा कि यह व्यवहार केवल कुछ अधिकारियों की लापरवाही नहीं, बल्कि प्रशासनिक रवैये का हिस्सा प्रतीत होता है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

इस घटना पर कांग्रेस नेताओं ने मोहन सरकार पर तीखा हमला किया है। उनका कहना है कि वही किसान, जिनके दम पर सत्ता और कुर्सियाँ संभाली जाती हैं, उन्हें अब सरकारी मदद लेने के दौरान अपमानित किया जा रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “मोहन सरकार में अन्नदाता को खाद लेने के लिए हाथ फैलाना पड़ता है, और अब उन्हें थप्पड़ भी पड़ रहे हैं। क्या यही आपके शासन का किसान कल्याण है?”

विपक्ष का यह भी कहना है कि इस घटना ने सरकारी नीतियों की विफलता और प्रशासनिक कठोरता को उजागर किया है।

प्रशासन का बयान

स्थानीय अधिकारियों ने फिलहाल इस मामले में किसी भी नैतिक या कानूनी दोष को स्वीकार नहीं किया है। प्रशासन का कहना है कि वीडियो की सच्चाई की जांच की जा रही है और यदि कोई अधिकारी दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

किसान का दृष्टिकोण

किसानों ने बताया कि उन्हें बार-बार आवश्यक खाद और अन्य सहायक सामग्री मांगने के लिए प्रशासन के दरवाजे खटखटाने पड़ते हैं। इस घटना ने उनकी आशा और भरोसा कम कर दिया है। किसान और सामाजिक संगठन अब सरकार से स्पष्ट जवाबदेही और सम्मानजनक व्यवहार की मांग कर रहे हैं।

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