केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को बिजली वितरण का निजीकरण लागू करने की चेतावनी और ग्रांट रोकने की धमकी के बाद अब विपक्ष कांग्रेस खुलकर हमलावर हो गया है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. विक्रम चौधरी ने शुक्रवार को केंद्र की इस नीति को जनविरोधी और पूंजीपति हितैषी बताते हुए तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि जनता की मेहनत की कमाई से बनी संपत्ति को अब कॉरपोरेट घरानों की झोली में डालने की तैयारी चल रही है।
डॉ. चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों पर दबाव बना रही है कि वे बिजली वितरण को निजी हाथों में सौंपें, वरना उन्हें दी जाने वाली ग्रांट रोक दी जाएगी। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या अब देश का संघीय ढांचा सिर्फ नाम का रह गया है? यह फैसला न केवल राज्य सरकारों की स्वायत्तता पर हमला है, बल्कि किसानों, मजदूरों और आम उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा वार है।
जनता की पूंजी
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि बिजली विभाग जनता की पूंजी से खड़ा हुआ है, इसका मकसद मुनाफा नहीं बल्कि जनसेवा है। निजी कंपनियों के हाथों में आने के बाद बिजली दरें बढ़ेंगी, ग्रामीण इलाकों की उपेक्षा होगी और किसानों को सस्ती बिजली मिलना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यह निजीकरण नहीं, जनता की संपत्ति की नीलामी है।
डॉ. चौधरी ने बताया कि मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में स्मार्ट मीटर को लेकर पहले ही जनता नाराज़ है, ऐसे में निजीकरण की धमकी आग में घी डालने जैसा कदम है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार हर सार्वजनिक क्षेत्र रेलवे, एयरपोर्ट, बंदरगाह के बाद अब बिजली को भी बेचने की फिराक में है।
कांग्रेस प्रवक्ता की मांग
- केंद्र सरकार तुरंत बिजली निजीकरण की नीति वापस ले।
- राज्य सरकारें जनता की संपत्ति बेचने के किसी दबाव में न आएं।
- किसानों और आम उपभोक्ताओं को सस्ती व भरोसेमंद बिजली की गारंटी दी जाए।
- सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनियों को मजबूत किया जाए, निजीकरण नहीं।
अंत में डॉ. चौधरी ने कहा कि जनता की संपत्ति बेची नहीं जाएगी। कांग्रेस हर हाल में इस जनविरोधी नीति के खिलाफ लड़ेगी, चाहे मैदान में हो या विधानसभाओं में है।
