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रामायण पाठ पर विवाद, MP पुलिस की ट्रेनिंग में धार्मिक आस्था का पाठ या प्रेरणा का साधन?

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Published On: 24 July 2025

भोपाल | MP पुलिस की नई भर्ती के तहत ट्रेनिंग ले रहे नव आरक्षकों को रामचरितमानस का पाठ करने की सलाह देकर पुलिस मुख्यालय एक नई बहस के केंद्र में आ गया है। विशेष पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण) राजाबाबू सिंह ने जब 4,000 से अधिक नव आरक्षकों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रशिक्षण की शुरुआत से पहले प्रेरणा देने की कोशिश की, तब शायद उन्हें अंदाजा नहीं था कि यह सलाह राजनीतिक घमासान का रूप ले लेगी।

एडीजी ने कही ये बात

ADG ने ट्रेनिंग के पहले ही दिन नव आरक्षकों को संबोधित करते हुए भगवान राम के वनवास और जीवन संघर्ष का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, “जब भगवान राम 14 साल के वनवास को स्वीकार कर सकते हैं, तो आप नौ महीने की ट्रेनिंग के लिए घर से दूर क्यों नहीं रह सकते?” इसके साथ ही, उन्होंने सुझाव दिया कि सभी नव आरक्षक रात को सोने से पहले रामचरितमानस का पाठ करें। इस कथन का मकसद उनके मुताबिक केवल मानसिक शांति और प्रेरणा देना था।

यह सलाह जहां कुछ नव आरक्षकों को प्रेरक लगी, वहीं विपक्ष ने इसे धार्मिक और संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ बताया। कांग्रेस प्रवक्ता फिरोज सिद्दीकी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “भारत का संविधान धर्मनिरपेक्ष है। किसी भी सरकारी संस्था में किसी एक धर्म विशेष के ग्रंथ को अनिवार्य या प्राथमिकता देना उचित नहीं है। धर्म निजी आस्था का विषय है, न कि सरकारी नीति का।”

मानसिक तनाव करता है कम

इसके बावजूद, कुछ मुस्लिम समुदाय के नव आरक्षकों ने इसे सकारात्मक रूप में लिया। भोपाल के पुलिस ट्रेनिंग स्कूल भौंरी में प्रशिक्षण ले रही शबनम उस्मानी ने कहा, “राम जी का जीवन त्याग और अनुशासन की मिसाल है। उनकी जीवन यात्रा से हमें सीख मिलती है कि हमें भी कठिनाइयों में डटे रहना चाहिए।” वहीं, आरक्षक अयान महमूद खान ने कहा कि रामचरितमानस का पाठ मन को शांति देता है और यह मानसिक तनाव को कम करता है।

वनवास का उदाहरण

मामले की शुरुआत तब हुई जब करीब 600 नव आरक्षकों ने प्रशिक्षण सेंटर बदलने के लिए आवेदन भेजे। इनमें निजी कारण जैसे माता-पिता की बीमारी, घर की जिम्मेदारी आदि का हवाला दिया गया। एडीजी ने इन लगातार बढ़ते तबादला आवेदन को गंभीरता से लिया और आरक्षकों को समझाने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की। यहीं उन्होंने राम के वनवास का उदाहरण देते हुए जिम्मेदारी और समर्पण का पाठ पढ़ाया।

राजाबाबू सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि ट्रेनिंग के दौरान समय नहीं है कि सेंटर बदले जाएं। उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस कॉन्स्टेबल के बेसिक कोर्स में बदलाव किए गए हैं, जिसमें नए क्रिमिनल लॉ के मुताबिक सुधार शामिल हैं।

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