भोपाल | बच्चों की सेहत अब MP सरकार की प्राथमिकता सूची में शीर्ष पर है। इसी उद्देश्य को लेकर मध्यप्रदेश में 22 जुलाई से स्टॉप डायरिया सह दस्तक अभियान की शुरुआत होने जा रही है, जो 16 सितंबर 2025 तक चलेगा। इस बार का अभियान सिर्फ दस्त नहीं, बल्कि एनीमिया, कुपोषण और अन्य गंभीर बालरोगों की पहचान और समय पर इलाज पर केंद्रित है।
डॉ. ने दी जानकारी
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनीष शर्मा ने जानकारी दी कि इस अभियान के दौरान आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता 5 साल तक की उम्र के बच्चों के घर-घर जाकर जांच करेंगी। डिजिटल हीमोग्लोबिनोमीटर से बच्चों में एनीमिया की जांच होगी, वहीं दस्त रोग की रोकथाम के लिए ओआरएस व जिंक वितरण भी किया जाएगा।
इनपर विशेष फोकस
इस बार अभियान में उन बच्चों को चिह्नित किया जाएगा जो गंभीर रूप से कुपोषित हैं या निमोनिया जैसी सांस की बीमारियों से जूझ रहे हैं। इन बच्चों को तत्काल उपचार के लिए रेफर किया जाएगा। इसके अलावा विटामिन-ए की खुराक देना भी अभियान का हिस्सा है, जिससे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत की जा सके।
फील्ड टीम अलर्ट
जिला और विकासखंड स्तर पर टास्क फोर्स मीटिंग पहले ही हो चुकी हैं। जरूरी दवाएं, उपकरण, रिपोर्टिंग फॉर्म और प्रचार सामग्री पहले से भेजी जा चुकी है। मैदानी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देकर तैयार किया गया है ताकि अभियान के दौरान किसी प्रकार की लापरवाही न हो।
विभाग ने की ये अपील
स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे इस अभियान का हिस्सा बनें, और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से सहयोग करें। यदि किसी घर में 5 वर्ष तक का बच्चा है, तो जांच कराना न भूलें। यह अभियान न केवल बीमारियों की पहचान और इलाज है, बल्कि एक बड़ी जागरूकता मुहिम भी है जो बाल मृत्यु दर को कम करने की दिशा में अहम कदम हो सकता है।
