प्रदेश में फसल के अवशेष यानी नरवाई जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए किसान भाई-बहनों को अब और सजग होने की जरूरत है। किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंषाना ने किसानों से कहा कि नरवाई से जुड़े सभी आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग करें। इससे न केवल वायु प्रदूषण कम होगा बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ेगी और फसल उत्पादन में सुधार होगा।
भोपाल के एक निजी होटल में आयोजित फसल अवशेष प्रबंधन पर राज्यस्तरीय कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए मंत्री ने कहा कि फसल जलाने की आदत से बचकर किसान अपनी लागत घटा सकते हैं और अतिरिक्त आय के नए रास्ते खोल सकते हैं। उन्होंने बताया कि सरकार किसानों को इसके लिए जागरूक करने और आधुनिक यंत्र उपलब्ध कराने का काम कर रही है।
ये लोग हुए शामिल
कार्यशाला में कृषि उत्पादन आयुक्त अशोक बर्णवाल, सचिव कृषि निशांत वरबडे, कुलगुरु कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर अरविंद शुक्ला, नाबार्ड की मुख्य महाप्रबंधक एस. सरस्वती, सीफेट लुधियाना के निदेशक डॉ. नचीकेत कोतवालीवाले और सीआईएई भोपाल के निदेशक डॉ. सी.आर. मेहता समेत देश-प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी और कृषि विशेषज्ञ मौजूद थे। इसके अलावा नरवाई प्रबंधन से जुड़े यंत्र बनाने वाले उद्योगपति और किसान भाई-बहन भी शामिल हुए।
सही प्रबंधन किया जाए
मंत्री कंषाना ने विशेष रूप से बताया कि फसल अवशेष को सीधे जलाने की बजाय उसका सही प्रबंधन किया जाए। जैसे कि इसे खाद में बदलना, बीज उत्पादन में इस्तेमाल करना या बायोएनर्जी के लिए उपयोग करना। इससे किसानों को पर्यावरण के साथ-साथ अपनी आमदनी बढ़ाने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार नए यंत्रों के लिए प्रशिक्षण और तकनीकी मदद भी उपलब्ध करा रही है, ताकि हर किसान इसे आसानी से इस्तेमाल कर सके।
किसानों को दी जानकारी
कार्यशाला में यह भी चर्चा हुई कि किसानों को समझाईश देकर अवशेष प्रबंधन की आदत डालना जरूरी है। इससे न केवल प्रदेश की हवा साफ रहेगी, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। वहीं, विशेषज्ञों ने यंत्रों के सही इस्तेमाल और फसल अवशेष से आय बढ़ाने के नए तरीकों पर भी किसानों को जानकारी दी।