मध्य प्रदेश में स्वर्ण समाज 26 अक्टूबर से उज्जैन से एक बड़ा आंदोलन शुरू करने जा रहा है। इसका मकसद ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) आरक्षण में सरलीकरण, समान अवसर और न्यायोचित सुधार सुनिश्चित करना है। यह आंदोलन उज्जैन से शुरू होगा, जिसे करणी सेना प्रमुख अनुराग प्रताप सिंह राघव ने “ईडब्ल्यूएस क्रांति” करार दिया है। अनुराग प्रताप सिंह का कहना है कि सरकार ने भले ही 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू किया है, लेकिन कठोर शर्तों और सीमित लाभ के कारण समाज इसका पूरा फायदा नहीं उठा पा रहा। करणी सेना की मांग है कि यह आरक्षण 10% से बढ़ाकर 20% किया जाए और नियमों को सरल बनाया जाए।
करणी सेना की 9 प्रमुख मांगें
| विवरण | सिफारिश / लाभ |
|---|---|
| आयु सीमा में छूट | ईडब्ल्यूएस वर्ग को प्रतियोगी परीक्षाओं में 5 साल की छूट दी जाए |
| अतिरिक्त प्रयास | UPSC समेत सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों को अतिरिक्त प्रयासों की अनुमति |
| शिक्षक नियुक्ति | 2018 की उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती में चयनित 848 अभ्यर्थियों को तुरंत नियुक्त किया जाए |
| कैरी फॉरवर्ड | यदि किसी वर्ष ईडब्ल्यूएस रिक्तियां नहीं भर पातीं, उन्हें अगले वर्ष के लिए सुरक्षित रखा जाए |
| कंडिका 6.3 संशोधन | ईडब्ल्यूएस रिक्तियों की सुरक्षा के लिए संशोधन को बदला या हटाया जाए |
| छात्रवृत्ति लाभ | राज्य की योजनाओं में ईडब्ल्यूएस छात्रों और परिवारों को शामिल किया जाए |
| प्रमाण पत्र की वैधता | ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र की अवधि 3 साल की जाए |
| ईडब्ल्यूएस कल्याण बोर्ड | राज्य स्तर पर बोर्ड बनाया जाए और जागरूकता अभियान चलाया जाए |
| शिक्षा का समान अधिकार | आरटीई अधिनियम के तहत ईडब्ल्यूएस बच्चों को निजी और सरकारी स्कूलों में समान अवसर |
दी चेतावनी
अनुराग प्रताप ने बताया कि ईडब्ल्यूएस संघर्ष लोकेंद्र सिंह कालवी ने 1996 में शुरू किया था। लंबी लड़ाई के बाद 10% आरक्षण मिला, लेकिन मध्य प्रदेश में आज भी इसका पूरा लाभ नहीं मिल रहा। उन्होंने साफ चेतावनी दी कि 2018 की भर्ती में चयनित 848 अभ्यर्थियों की नियुक्ति अब तक नहीं हुई। यदि सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाया, तो आंदोलन पूरे प्रदेश में फैलेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में यदि मांगें पूरी नहीं हुईं, तो करणी सेना स्वयं उम्मीदवार उतारने या ‘NOTA’ अभियान चलाने पर विचार करेगी।
सरकार के लिए चुनौती
स्वर्ण समाज और करणी सेना की यह पहल सरकार के लिए बड़ा संदेश है। अब सवाल यह है कि क्या मध्य प्रदेश सरकार ईडब्ल्यूएस वर्ग के वास्तविक हित में फैसले लेगी, या आंदोलन को रोकने के लिए बहाने बनाएगी। उज्जैन से शुरू होने वाली ईडब्ल्यूएस क्रांति जल्द ही पूरे प्रदेश में सुनाई देगी और प्रशासन के सामने मांगों की मजबूती को चुनौती देगी।
