मध्य प्रदेश के सतना में स्थित केंद्रीय जेल से एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहां के एक कर्मचारी पर आरोप है कि उसने फर्जी श्रवण बाधित (सुनने में अक्षम) प्रमाण पत्र के सहारे सरकारी नौकरी हासिल की। जांच में सामने आया है कि आरोपी कर्मचारी पूरी तरह सामान्य है और उसे सुनने की कोई समस्या नहीं है। इस खुलासे के बाद जेल विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
सूत्रों के मुताबिक, जब विभाग को कर्मचारी के व्यवहार और बातचीत से शक हुआ, तो उसके दस्तावेजों की जांच कराई गई। जांच में पता चला कि उसका विकलांगता प्रमाण पत्र संदिग्ध है और संभवतः जाली दस्तावेजों के आधार पर तैयार किया गया था।
सतना कलेक्टर
मामले की गंभीरता को देखते हुए जेल प्रशासन ने तुरंत इसकी जानकारी सतना कलेक्टर को दी है। कलेक्टर से अनुरोध किया गया है कि मेडिकल बोर्ड गठित कर कर्मचारी की वास्तविक स्थिति की जांच कराई जाए।
जेल प्रशासन का कहना है कि अगर जांच में यह साबित हो गया कि कर्मचारी ने नौकरी पाने के लिए गलत दस्तावेजों का इस्तेमाल किया है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसमें न केवल निलंबन बल्कि आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की भी सिफारिश की जाएगी।
फर्जीवाड़ा सरकारी सेवा
अधिकारियों का कहना है कि इस तरह का फर्जीवाड़ा सरकारी सेवा में गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है, क्योंकि इससे न केवल व्यवस्था की साख पर असर पड़ता है बल्कि उन लोगों के हक पर भी चोट होती है जो सचमुच विकलांग हैं और सरकारी नौकरी के लिए पात्र हैं। विभागीय सूत्रों ने यह भी बताया कि इस घटना के बाद अन्य कर्मचारियों के दस्तावेजों की भी समीक्षा की जा सकती है, ताकि भविष्य में इस तरह के मामले दोबारा न हों।
स्थानीय प्रशासन अब यह जांच करने में जुटा है कि फर्जी प्रमाण पत्र किस स्तर पर तैयार किया गया था और इसमें कौन-कौन शामिल था।