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भोपाल जिला अस्पताल में पहली बार फाइब्रो स्कैन मशीन से हुई लीवर जांच, 147 लोगों में मिला फैटी लीवर

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Published On: 12 November 2025

भोपाल के जयप्रकाश जिला चिकित्सालय में एक नई पहल के तहत पहली बार फाइब्रो स्कैन मशीन की मदद से लीवर की जांच की गई। यह जांच ‘स्वस्थ यकृत मिशन’ के तहत की गई, जिसमें फैटी लीवर डिजीज और लीवर फाइब्रोसिस जैसे मामलों की पहचान पर जोर दिया गया।

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, इस विशेष जांच अभियान में 200 लोगों की स्क्रीनिंग की गई। इनमें से 147 लोगों में फैटी लीवर की समस्या पाई गई, जबकि 28 मरीजों में लीवर फाइब्रोसिस के लक्षण सामने आए। इन सभी मरीजों को इलाज के साथ-साथ जीवनशैली में सुधार और खानपान पर ध्यान देने की सलाह दी गई है। डॉक्टरों ने खास तौर पर शराब और धूम्रपान से दूरी बनाने तथा घर में उपलब्ध पौष्टिक भोजन अपनाने पर जोर दिया। सभी मरीजों का अब नियमित फॉलोअप किया जाएगा ताकि स्थिति पर निगरानी रखी जा सके।

ट्रांजिएंट लीवर इलास्टोग्राफी

डॉक्टरों के मुताबिक, फाइब्रो स्कैन मशीन में “ट्रांजिएंट लीवर इलास्टोग्राफी” तकनीक का उपयोग किया जाता है। यह एक नॉन-इनवेसिव टेस्ट है, यानी इसमें किसी तरह की सुई या कट लगाने की जरूरत नहीं होती। इस तकनीक से लीवर की सख्ती और उसमें फैट की मात्रा को एक स्कोर के रूप में मापा जाता है। इससे डॉक्टरों को यह समझने में मदद मिलती है कि मरीज के लीवर की स्थिति कितनी गंभीर है और आगे का इलाज किस दिशा में जाना चाहिए।

स्वस्थ यकृत मिशन

गौरतलब है कि राज्य में इस साल जून माह से “स्वस्थ यकृत मिशन” शुरू किया गया था। इस अभियान का उद्देश्य लीवर संबंधी बीमारियों की जागरूकता, शुरुआती पहचान और रोकथाम है। मिशन के तहत 30 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों की सामुदायिक स्क्रीनिंग की जा रही है। जिन लोगों का बीएमआई 23 से ज्यादा, महिलाओं की कमर 80 सेमी और पुरुषों की कमर 90 सेमी से अधिक है या जिन्हें मधुमेह है, उन्हें संदिग्ध मरीजों के रूप में जांच में शामिल किया जा रहा है।

हजारों लोगों को मिलेगा लाभ

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनीष शर्मा ने बताया कि फैटी लीवर से लेकर हेपेटाइटिस, सिरोसिस और लीवर कैंसर तक कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि अब फाइब्रो स्कैन और FIB-4 स्कोर जांच से मरीजों की स्थिति का सटीक आकलन किया जा सकेगा, जिससे समय रहते इलाज शुरू किया जा सकेगा। भोपाल जिला अस्पताल में हुई यह पहल अब प्रदेश के अन्य जिलों के लिए एक मॉडल प्रोजेक्ट के रूप में देखी जा रही है, जिससे भविष्य में हजारों लोगों को लाभ मिल सकता है।

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