भोपाल में लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) और हमीदिया अस्पताल में लापरवाही की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। मरीज और उनके परिजन कैंपस में आने-जाने में कई परेशानियों का सामना कर रहे हैं।
जीएमसी के मेन गेट का रेनोवेशन और चौड़ीकरण कार्य 15 नवंबर 2024 से शुरू हुआ था। निर्माण एजेंसी ने भव्य गेट बना दिया, लेकिन 11 महीने बाद भी गेट के दाईं ओर की सड़क नहीं बनी। इसके कारण वाहनों की आवाजाही में परेशानी बनी हुई है। प्रबंधन ने दावा किया था कि यह काम तीन माह में पूरा हो जाएगा, लेकिन आज तक केवल गेट का निर्माण ही पूरा हुआ है।
बजट और प्लानिंग में गड़बड़ी
हमीदिया अस्पताल प्रबंधन के अनुसार, गेट निर्माण के लिए अलग बजट आवंटित किया गया था। हालांकि, अधिकारियों ने केवल गेट निर्माण पर ध्यान दिया और सड़क के लिए कोई अलग प्रावधान नहीं किया। बजट का पूरा उपयोग गेट निर्माण में ही हो गया। इससे कैंपस में आने-जाने वाले लोगों को समस्या हो रही है।
बाहरी लोगों की समस्या
अस्पताल में बाहरी लोगों के प्रवेश पर कोई रोक नहीं है। कुछ बाहरी लोग मरीजों को डिस्चार्ज करवा कर निजी अस्पताल ले जा रहे हैं। जूडा ने प्रबंधन को पत्र लिखकर इस बात की जानकारी दी थी। मरीजों का कहना है कि निजी अस्पताल के दलाल कैंपस में सक्रिय हैं।
बूम बैरियर और सुरक्षा
जीएमसी और हमीदिया में चार गेट हैं, जिनमें तीन प्रमुख हैं। इनमें बूम बैरियर लगाए गए हैं, ताकि वाहन और लोगों की जानकारी सर्वर में दर्ज की जा सके। हालांकि, यह व्यवस्था आज तक पूरी तरह लागू नहीं हुई है।
मरीजों की परेशानी
एक ही गेट से दोनों दिशाओं में आवाजाही होने से जाम की स्थिति बन जाती है। पार्किंग को लेकर भी भ्रम रहता है। जीएमसी प्रदेश का सबसे बड़ा मेडिकल कॉलेज है, जहां रोजाना करीब 20 हजार लोग आते-जाते हैं।
प्रबंधन की प्रतिक्रिया
जीएमसी डीन डॉ. कविता एन. सिंह ने कहा कि गेट तैयार हो गया है और एक हिस्सा चालू कर दिया गया है। दूसरी ओर की पुरानी सड़क का काम अभी बाकी है। इसे नए रोड के बराबर बनाने के लिए पीडब्ल्यूडी और पीआईयू को कहा गया है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जल्द ही सड़क का काम पूरा कर दिया जाएगा।