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ग्रीन-एजी परियोजना: अमलाहा में किसान सीख रहे कांटारहित कैक्टस खेती, ICARDA केंद्र में दिया गया प्रशिक्षण सत्र

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Published On: 26 September 2025

मध्यप्रदेश सरकार के किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग की ग्रीन-एजी परियोजना के तहत श्योपुर जिले के किसानों का एक दल सीहोर स्थित ICARDA केंद्र, अमलाहा पहुँचा। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को कांटारहित कैक्टस की खेती और इसके विविध उपयोगों के बारे में जानकारी देना था। इस दौरान किसानों के साथ डॉ. नीलम बिसेन पवार (राज्य तकनीकी समन्वयक), श्रीमती मिली मिश्रा (संचार अधिकारी) और पशुपालन विशेषज्ञ अमृतेश वशिष्ठ मौजूद रहे।

कैक्टस

प्रशिक्षण सत्र में डॉ. नेहा तिवारी, वैज्ञानिक (ICARDA-India) ने बताया कि कैक्टस एक ऐसा पौधा है जो कम पानी और शुष्क बंजर भूमि में भी आसानी से उग सकता है। कांटारहित होने के कारण यह पशुओं के लिए गर्मी और सूखे के समय हरे चारे का महत्वपूर्ण स्रोत है। इसके अतिरिक्त, कांटारहित नागफनी से बायोगैस उत्पादन और जैविक खाद तैयार करने की तकनीक किसानों को विस्तार से समझाई गई।

किसानों ने प्रत्यक्ष रूप से खेतों में जाकर विभिन्न किस्मों के कांटारहित कैक्टस का अवलोकन किया और पौधों की देखभाल, रोपण एवं कटाई की तकनीक को समझा। अधिकांश किसानों का मानना था कि यह खेती न केवल पशुपालन के लिए उपयोगी है बल्कि उनकी आय में भी वृद्धि कर सकती है।

दीर्घकालिक लाभ

कार्यक्रम में किसानों को कैक्टस की पोषण संबंधी विशेषताओं और इसके दीर्घकालिक लाभों की जानकारी दी गई। वैज्ञानिकों ने बताया कि यह पौधा पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ जैव विविधता संरक्षण, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और सतत भूमि प्रबंधन में भी सहायक है।

ग्रीन-एजी परियोजना

वर्तमान में यह परियोजना श्योपुर और मुरैना जिलों में संचालित है। इसके अंतर्गत किसानों को नई और पर्यावरण अनुकूल खेती की तकनीकें सिखाई जा रही हैं। कांटारहित कैक्टस खेती इस परियोजना का प्रमुख आकर्षण बन गई है क्योंकि यह शुष्क कृषि क्षेत्रों में सतत आय और पशुपालन के लिए स्थायी समाधान प्रदान करती है।

इस पहल से किसानों को न केवल खेती की नई तकनीकों की समझ मिली है, बल्कि उन्हें अपने खेतों में सतत और लाभकारी कृषि अपनाने की प्रेरणा भी मिली है।

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