भोपाल के पास भोजपुर-बंगरसिया सड़क चौड़ीकरण के दौरान बिना अनुमति 488 पेड़ कटने के मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने MP सरकार के 7 वरिष्ठ अधिकारियों को 26 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि अब भोपाल में कोई भी पेड़ बिना अनुमति नहीं काटा जा सकेगा।
भोजपुर–बंगरसिया सड़क चौड़ीकरण के लिए पीडब्ल्यूडी रायसेन ने बिना किसी अनुमति के 488 पेड़ काट दिए। हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया। इस मामले में याचिका दाखिल करने वाले नितिन सक्सेना की ओर से कोर्ट में बताया गया कि काटे गए पेड़ पूरी तरह नष्ट कर दिए गए और प्रत्यारोपण का कोई प्रयास नहीं किया गया।
सक्सेना ने कोर्ट में दिखाए सबूत
सक्सेना ने कोर्ट को बताया कि कई पेड़ों के तने जमीन में गड़े हुए हैं और कुछ में अंकुर भी निकलने लगे हैं। हाईकोर्ट ने इस पर आदेश दिया कि प्रत्यारोपित किए गए पेड़ों की जीपीएस और सेटेलाइट फोटो पेश की जाए। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया कि पेड़ों की कटाई कानूनी और पारदर्शी ढंग से हो। हाईकोर्ट ने मामले में सात वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया है। इनमें एग्जीक्यूटिव इंजीनियर पीडब्ल्यूडी, अंडर सेक्रेटरी और एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर विधानसभा सचिवालय, कमिश्नर नगर निगम भोपाल, प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट, प्रिंसिपल सेक्रेटरी विधानसभा सचिवालय और जनरल मैनेजर वेस्ट सेंट्रल रेलवे शामिल हैं।
पेड़ कटने की तैयारी पर चिंता
हस्तक्षेपकर्ता नितिन सक्सेना ने कोर्ट को बताया कि नए रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट्स के लिए 244 और पेड़ काटने की योजना है। पेड़ काटने की अनुमति न मिलने पर ट्रांसप्लांटेशन के नाम पर पेड़ पूरी तरह काटे जा रहे हैं। सक्सेना ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के बावजूद राज्य सरकार ने पेड़ काटने के लिए गठित कमेटी या जिम्मेदार वन अधिकारी से अनुमति नहीं ली। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि बिना अनुमति कोई भी पेड़ नहीं काट सकता और इस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
हाईकोर्ट की अगली सुनवाई
मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर को तय की गई है। इस दौरान सभी तलब किए गए अधिकारियों को पेश होना अनिवार्य होगा और कोर्ट इस मामले में आवश्यक कदम उठाने की तैयारी कर रहा है।
