, ,

IAS संतोष वर्मा विवाद बढ़ा; रीवा सांसद ने चयन और प्रमोशन पर सवाल उठाए, सरकार ने भेजा नोटिस

Author Picture
Published On: 30 November 2025

अजाक्स के प्रांताध्यक्ष और कृषि विभाग में डिप्टी सेक्रेटरी IAS संतोष वर्मा का विवाद शांत होने के बजाय और गहराता जा रहा है। रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा ने वर्मा के चयन और प्रमोशन पर गंभीर आपत्तियां उठाते हुए केंद्र सरकार से जांच की मांग की है। मिश्रा ने 28 नवंबर को केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह को पत्र भेजकर तीन बिंदुओं पर कार्रवाई की मांग की है। विवादित बयान पर अनुशासनात्मक कार्रवाई, चयन प्रक्रिया की जांच और पदोन्नति की समीक्षा।

मिश्रा ने कहा कि वर्मा का चयन अनुसूचित जाति की जगह अनुसूचित जनजाति वर्ग के आधार पर हुआ, जो नियमों के खिलाफ था। उनके अनुसार, अदालत ने 2021 में इस चयन को गलत माना था और वर्मा को पद और वेतन लाभ देने पर आपत्ति जताई थी।

सांसद ने चयन प्रक्रिया को बताया गलत

सांसद ने यह भी उल्लेख किया कि वर्मा का नाम पहले भी अदालत की अवमानना, अमर्यादित भाषा और सरकारी काम में बाधा जैसे मामलों में आया था। उन्होंने कहा कि एक वरिष्ठ अधिकारी का ऐसा व्यवहार और बयान संविधान के समानता सिद्धांत का उल्लंघन करता है। इस बीच क्षत्रिय करणी सेना के युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष ओकेंद्र राणा ने फेसबुक पर वर्मा के खिलाफ हिंसक पोस्ट लिखा। राणा ने कहा कि जहां भी वर्मा मिलें, “उन पर गाड़ी चढ़ा दो।” इस पोस्ट के बाद विवाद और तेज हो गया है।

डिप्टी सीएम ने बयान को अस्वीकार्य कहा

डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने सोशल मीडिया पर लिखा कि वर्मा की टिप्पणी बहन-बेटियों के प्रति अपमानजनक और सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने वाली है। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान प्रशासनिक गरिमा पर भी सवाल उठाते हैं।

7 दिन में मांगा जवाब

सामान्य प्रशासन विभाग ने बुधवार देर रात वर्मा को नोटिस जारी किया। नोटिस में कहा गया है कि 23 नवंबर को अजाक्स अधिवेशन में दिया गया बयान अखिल भारतीय सेवा आचरण नियमों के खिलाफ है और इसे गंभीर कदाचार माना जाएगा। वर्मा से पूछा गया है कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों न की जाए। जवाब नहीं मिलने पर एकपक्षीय कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

विवाद की शुरुआत

अजाक्स के प्रांतीय अधिवेशन में वर्मा को प्रांताध्यक्ष चुना गया था। इसी कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि एक परिवार को तभी तक आरक्षण देना चाहिए, जब तक मेरे बेटे का विवाह किसी ब्राह्मण परिवार की बेटी से न हो। इस बयान के बाद मामले ने राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर तीखा रूप ले लिया है।

Related News
Home
Web Stories
Instagram
WhatsApp