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शाहपुरा में रिटायर्ड बैंक मैनेजर को डिजिटल अरेस्ट करके 68 लाख की ठगी, वीडियो कॉल पर पूछताछ दिखाकर बनाया दबाव

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Published On: 20 November 2025

भोपाल के शांत माने जाने वाले शाहपुरा इलाके में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां एक रिटायर्ड बैंक मैनेजर से साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट का ड्रामा रचकर पूरे 68 लाख रुपए हड़प लिए। ठगों ने इतनी चालाकी से पूरा जाल बुना कि 65 साल के दयाराम देशमुख जैसे अनुभवी बैंक अधिकारी भी उनके झांसे में आ गए। दयाराम देशमुख बैंक ऑफ इंडिया से मैनेजर के पद से रिटायर हुए हैं। सोमवार दोपहर एक अंजान नंबर से आए कॉल ने उनकी जिंदगी की दिशा ही बदल दी। फोन करने वाले ने खुद को भोपाल पुलिस का अधिकारी बताया और सीधे-सीधे आरोप लगा दिया कि उनके बैंक कार्यकाल के दौरान 4 करोड़ के फ्रॉड में उनका नाम सामने आया है। ठग ने धमकी भी दे दी कि मामला गंभीर है और उन्हें कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है।

इस अचानक पड़े झटके से दयाराम पूरी तरह घबरा गए। जब उन्होंने बात घरवालों को बताई, तभी दूसरा फोन आया और ठगों ने नया खेल शुरू किया डिजिटल अरेस्ट का… उन्होंने दयाराम को भरोसा दिलाया कि अगर वे “जांच” में सहयोग करेंगे तो उन्हें जेल नहीं जाना पड़ेगा। इसके लिए पहले उन्हें एक कमरे में अलग रहने को कहा, फिर मोबाइल में सिग्नल ऐप डाउनलोड करवाया और वीडियो कॉल पर नकली पूछताछ शुरू कर दी।

सिक्योरिटी अमाउंट

वीडियो कॉल पर बैठा शख्स बाकायदा पुलिस अधिकारी की वर्दी पहनकर ऑफिस में बैठा दिख रहा था ताकि पीड़ित को भरोसा हो जाए। ठगों ने झांसा दिया कि जांच में सहयोग दिखाने के लिए उन्हें “सिक्योरिटी अमाउंट” जमा करना होगा, जिससे यह साबित हो जाएगा कि वे मामले में शामिल नहीं हैं। अगले ही दिन दयाराम और उनकी पत्नी बैंक पहुंचे। ठगों के डर और दबाव में उन्होंने अपनी पांच अलग-अलग एफडी तोड़कर करीब 68 लाख रुपए ठगों के बताए खातों में ट्रांसफर कर दिए। पैसे जाते ही ठगों ने कह दिया कि “अब कोई खतरा नहीं है, लेकिन जांच पूरी होने तक किसी को मत बताना।”

रहें सतर्क

मामला ज्यादा दिनों तक छिपा नहीं रह सका। बेटे पियूष को जब इस बारे में जानकारी मिली, तो वे घबरा गए और तुरंत माता-पिता को लेकर स्टेट साइबर ऑफिस पहुंचे। वहां गुरुवार को आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई गई। अब साइबर पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी है। यह मामला एक बार फिर याद दिला गया है कि पुलिस कभी भी फोन पर ऐसे आरोप नहीं लगाती और न ही किसी से पैसे ट्रांसफर करवाती है। डिजिटल जालसाज अब सीधे घरों में बैठकर लोगों को “गिरफ्तार” करने लगे हैं। इसके लिए सतर्क रहना बेहद जरूरी है।

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