भोपाल | मध्य प्रदेश (MP) की पीएचई मंत्री संपतिया उइके ने अपने ऊपर लगे 1000 करोड़ रुपये के कमीशन लेने के आरोपों पर मंगलवार को जवाब देते हुए कहा कि वह बिल्कुल सही हैं और “सांच को आंच नहीं”। मंत्री ने कहा कि जिस तरह से चाहें जांच कर लें, उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, क्योंकि मुख्यमंत्री को उनकी सच्चाई मालूम है और वही जवाब देंगे।
कैबिनेट बैठक में मामला पकड़ा तूल
इस पूरे मामले ने कैबिनेट बैठक में भी तूल पकड़ा, जहां डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने स्पष्ट कहा कि अपने ही विभाग की मंत्री के खिलाफ जांच बैठाने वाले पीएचई विभाग के प्रमुख अभियंता के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। मंत्री उइके पर जल जीवन मिशन में 1000 करोड़ के कमीशन लेने का आरोप पूर्व विधायक किशोर समरीते ने लगाया था, जिसके बाद पीएचई विभाग ने अपने ही मंत्री के खिलाफ जांच के आदेश जारी किए थे।
प्रमुख अभियंता ने दिए थे निर्देश
प्रमुख अभियंता (ईएनसी) संजय अंधवान ने प्रधानमंत्री कार्यालय से आई शिकायत और केंद्र सरकार की रिपोर्ट मांगने के बाद जांच के निर्देश दिए थे। समरीते ने आरोप लगाया था कि जल जीवन मिशन में 30 हजार करोड़ रुपये के फंड में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। इसी को लेकर पीएमओ ने राज्य सरकार से 7 दिन में रिपोर्ट मांगी थी। इसके बाद, प्रमुख अभियंता कार्यालय ने सभी मुख्य अभियंताओं और परियोजना निदेशकों को पत्र जारी कर विस्तृत जांच करने और संपत्ति विवरण देने को कहा था।
संपतिया उइके ने कही ये बात
संपतिया उइके ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें जांच से कोई डर नहीं है, क्योंकि जो सही होता है, उसे किसी चीज की परवाह नहीं होती। वहीं, डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने मंत्री का बचाव करते हुए आरोपों को आधारहीन बताया और कहा कि यह एक आदिवासी महिला मंत्री को बदनाम करने की साजिश है। उन्होंने कहा कि मंत्री उइके का राजनीतिक और प्रशासनिक रिकॉर्ड बेदाग रहा है और विधानसभा में उनके काम की सराहना भी हुई है।
इधर, जांच के आदेश देने वाले प्रमुख अभियंता संजय अंधवान ने सोमवार शाम को बयान जारी कर कहा कि मंत्री के खिलाफ की गई शिकायत निराधार है। उन्होंने बालाघाट के कार्यपालन यंत्री की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि शिकायतकर्ता किशोर समरीते ने कोई सबूत पेश नहीं किया है और सिर्फ सूचना के अधिकार के तहत मिले एक पत्र को ही आधार बनाया गया है।
पूर्व विधायक ने किया पलटवार
किशोर समरीते ने पलटवार करते हुए कहा कि केवल बालाघाट की रिपोर्ट पेश की गई है, जबकि पूरे प्रदेश में गड़बड़ियों की जांच के आदेश खुद प्रमुख अभियंता ने दिए हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही वे कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे और सरकार को जवाब देना होगा। समरीते का आरोप है कि मंत्री संपतिया उइके ने कार्यपालन यंत्रियों के जरिए करोड़ों की वसूली की है। उनके मुताबिक, बैतूल के कार्यपालन यंत्री ने 150 करोड़ रुपये बिना काम के ही शासन के खाते से निकाल लिए, जबकि छिंदवाड़ा और बालाघाट में भी ऐसी ही स्थिति है।
CBI जांच की मांग
उन्होंने दावा किया कि जल निगम और पीआईयू के इंजीनियरों और डायरेक्टर जनरल ने भी 1-1 हजार करोड़ रुपये का कमीशन लिया है। मुख्य अभियंता (मैकेनिकल) द्वारा 2200 टेंडरों पर काम नहीं कराया गया लेकिन राशि निकाल ली गई। इसके अलावा, 7 हजार अधूरे कामों के फर्जी प्रमाणपत्र केंद्र सरकार को भेजे गए हैं। समरीते ने मांग की कि इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए, क्योंकि यह घोटाला देश के बड़े घोटालों में शामिल हो सकता है।