अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर हुई सरकारी कार्रवाई को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का बयान अब बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। सहारनपुर में दिए गए उनके इस बयान कि अगर किसी यूनिवर्सिटी का वाइस चांसलर मुसलमान होगा, तो वह जेल जाएग ने माहौल गर्म कर दिया है। मदनी ने आरोप लगाया था कि सरकार योजनाबद्ध तरीके से मुस्लिम संस्थानों को निशाना बना रही है।
मदनी के इस विवादित बयान पर मध्य प्रदेश के खेल, युवा कल्याण एवं सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने सख्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मदनी के खुद के बयान और गतिविधियों की भी जांच की जानी चाहिए। सारंग ने कहा कि उनके बोलने के तरीके और आरोपों को देखकर लगता है कि वो भी कहीं-ना-कहीं देशद्रोह और आतंकवाद से जुड़े तत्वों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं।
खतरनाक नरेटिव तैयार
सारंग ने आरोप लगाया कि मदनी हर कानूनी कार्रवाई को धार्मिक चश्मे से देखने की आदत डाल चुके हैं। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा एजेंसियों, न्यायपालिका और संस्थाओं पर अविश्वास का माहौल बनाना एक सुनियोजित कोशिश है, जिससे एक खतरनाक नरेटिव तैयार होता है। मंत्री ने कहा कि यह वही लोग हैं जो हर मुद्दे पर समाज को बांटने की कोशिश करते हैं और माहौल को जहरीला बनाते हैं।
प्रतिभा का सम्मान
सारंग ने यह भी कहा कि भारत ने हमेशा प्रतिभा का सम्मान किया है और इसका उदाहरण उन्होंने डॉक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को याद कर बताया। उन्होंने कहा कि भारत में सम्मान धर्म देखकर नहीं दिया जाता। जो देश के लिए काम करता है, उसे सिरमौर बनाया जाता है। सारंग ने आरोप लगाया कि मदनी जैसे नेता मुस्लिम समाज को डराकर अपनी राजनीति चमकाते हैं और दशकों से चली आ रही वोटबैंक की राजनीति ऐसे बयानों को जन्म देती है।
मदनी जैसे देशद्रोही देश की व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगा सकते.. pic.twitter.com/pIXpNacJ3A
— विश्वास कैलाश सारंग (@VishvasSarang) November 23, 2025
सियासत में बवाल
अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर कार्रवाई को लेकर सारंग ने स्पष्ट कहा कि जो भी संस्थान कानून तोड़ेगा, उसकी जांच होगी चाहे वह किसी भी समुदाय से जुड़ा क्यों न हो। उन्होंने कहा कि वित्तीय अनियमितताओं, अवैध निर्माण या अन्य गंभीर कमियों पर कार्रवाई पूरी तरह कानून के दायरे में की गई है। इसे ‘मुस्लिम संस्थाओं पर हमला’ बताना राजनीति से प्रेरित बयानबाज़ी है। मंत्री ने मांग की कि मदनी के बयानों और गतिविधियों की गहन जांच होनी चाहिए, ताकि यह साफ हो सके कि उनके पीछे कोई साजिश तो नहीं।
