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किसानों की नाराजगी के बाद MP सरकार अलर्ट, खाद वितरण पर सख्ती

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Published On: 12 September 2025

MP में अच्छी बारिश से इस बार किसानों की उम्मीदें बढ़ गई हैं, लेकिन इसके साथ ही खाद की मांग भी तेज हो गई है। हाल ही में सतना में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के दौरे पर किसानों और कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा ने खाद की किल्लत का मुद्दा उठाया। यहां तक कि मंत्री का रास्ता रोककर नाराज किसानों ने अपनी परेशानी भी रखी। इस घटना के बाद प्रदेश सरकार हरकत में आ गई है और अब सीधे जिलों के कलेक्टरों को खाद वितरण पर सख्ती बरतने के निर्देश दिए गए हैं।

प्रदेश में खाद का पर्याप्त भंडार: कंसाना

प्रदेश के किसान कल्याण और कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंसाना ने साफ कहा है कि राज्य में खाद की कोई कमी नहीं है। उनका कहना है कि इस बार पिछले साल की तुलना में खाद की आपूर्ति ज्यादा है। आंकड़ों के आधार पर उन्होंने बताया कि पिछले साल 1 अप्रैल से 9 सितंबर तक 15.83 लाख मीट्रिक टन यूरिया बिका था, जबकि इस साल 9 सितंबर तक 18.34 लाख मीट्रिक टन यूरिया का स्टॉक रहा। इसमें से अब तक 16.19 लाख मीट्रिक टन किसानों को मिल चुका है और अभी भी करीब 2.15 लाख मीट्रिक टन यूरिया गोदामों में मौजूद है।

इसी तरह डीएपी और एनपीके खाद का भी इस साल स्टॉक ज्यादा है। पिछले साल इसी अवधि में 9.39 लाख मीट्रिक टन की बिक्री हुई थी, जबकि इस बार 13.96 लाख मीट्रिक टन का स्टॉक आया। इसमें से अब तक 9.71 लाख मीट्रिक टन किसानों को दिया जा चुका है और करीब 4.25 लाख मीट्रिक टन अभी भी उपलब्ध है। कंसाना ने कहा कि रोजाना 7 से 8 रैक खाद अलग-अलग जिलों में भेजे जा रहे हैं। कलेक्टरों को आदेश दिया गया है कि वितरण प्रणाली पर खास ध्यान दें, ताकि किसी भी किसान को लाइन में खड़े होकर परेशान न होना पड़े।

जरूरत पड़ी तो केंद्र से और खाद दिलवाऊंगा: शिवराज

सतना में किसानों की नाराजगी झेलने के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी सफाई दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में खाद की कोई कमी नहीं है, लेकिन बारिश अच्छी होने के कारण इस बार यूरिया की मांग ज्यादा है। मांग को देखते हुए जिला प्रशासन, राज्य सरकार और केंद्र सरकार का फर्टिलाइज़र विभाग लगातार मिलकर काम कर रहा है।

शिवराज ने कहा कि उन्होंने जिला प्रशासन से बात कर ली है और राज्य सरकार को भी निर्देश देंगे कि खाद का सही तरीके से वितरण सुनिश्चित किया जाए। अगर जरूरत पड़ी तो वे खुद केंद्र से और खाद की आपूर्ति कराएंगे।

किसानों की मांग

दरअसल, खरीफ सीजन में खाद की जरूरत ज्यादा होती है। धान, सोयाबीन और मक्का जैसी फसलों के लिए समय पर खाद मिलना बेहद जरूरी है। सतना में जो हालात बने, उससे साफ है कि किसानों को समय पर खाद नहीं मिलने से नाराजगी बढ़ रही है। सरकार भले ही आंकड़े और भंडारण की बात कर रही हो, लेकिन किसानों की परेशानी यह है कि उन्हें दुकानों पर समय पर खाद नहीं मिल रहा। अब देखना होगा कि सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का जिलों में कितना असर दिखता है।

फिलहाल, किसानों की नाराजगी के बाद प्रदेश सरकार और केंद्र दोनों ही सक्रिय हो गए हैं। अधिकारियों पर दबाव बढ़ा है कि वे समय रहते खाद की आपूर्ति दुरुस्त करें, ताकि खेतों में बोवाई और रख-रखाव का काम प्रभावित न हो।

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