MP सरकार के लिए वित्तीय हालात इस साल कुछ तनावपूर्ण बने हुए हैं। राज्य सरकार को केंद्र सरकार से मिलने वाली योजनाओं की राशि में अब तक केवल 18 प्रतिशत ही मिली है। चालू वित्त वर्ष में केंद्र से राज्य सरकार को 44,355.95 करोड़ रुपए मिलने का प्रावधान था, लेकिन अब तक मात्र 8,027.12 करोड़ ही खजाने में आए हैं। इसका सीधा असर उन सभी योजनाओं पर पड़ रहा है, जिनमें केंद्र और राज्य दोनों का सहयोग शामिल है।
राज्य सरकार के राजस्व जुटाने वाले विभाग पहली छमाही के टारगेट के मुकाबले लगभग 5,000 करोड़ रुपए कम ही जुटा पाए हैं। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार का घाटा बढ़ रहा है और योजनाओं के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
योजनाओं में फंड की कमी
केंद्र से मिलने वाली राशि न मिलने की वजह से कई बड़ी योजनाओं पर असर पड़ा है। नए मेडिकल कॉलेज, उपस्वास्थ्य केंद्र, पीएम आवास योजना (ग्रामीण और शहरी), पीएम ई-बस, जल जीवन मिशन, ई- विधान समेत कई योजनाओं के लिए केंद्र से धन नहीं मिला। इसी कारण राज्य सरकार अपने हिस्से का फंड भी सही समय पर जारी नहीं कर पा रही है।
विभागों की स्थिति
- खनिज, जेल और राजस्व विभाग के लिए अब तक केंद्र से कोई राशि नहीं मिली।
- जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के आरोपों के कारण पीएचई विभाग को अब तक कोई फंड नहीं मिला।
- लोक स्वास्थ्य विभाग को 5,181.25 करोड़ मिलने थे, पर केवल 1,035.58 करोड़ आए।
- ग्रामीण विकास विभाग को 9,774.23 करोड़ मिलने थे, लेकिन 2,782.60 करोड़ ही आए।
- जल संसाधन विभाग को 945 करोड़ मिलने थे, लेकिन मात्र 4.68 करोड़ मिले।
पावरफुल मंत्री भी फेल
राज्य से केंद्र में मंत्री होने के बावजूद विभागों को फंड नहीं मिल सका। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान, पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल, नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट और अन्य पावरफुल मंत्री केंद्र से राशि दिलाने में कमजोर साबित हुए।
सालभर का बजट
वर्ष 2025-26 के लिए केंद्र और राज्य के सहयोग से कुल 68,619.67 करोड़ रुपए का प्रावधान है। इसमें राज्य का हिस्सा 24,263.71 करोड़ और केंद्र का हिस्सा 44,355.95 करोड़ है। इसके बावजूद अब तक केवल 8,027.12 करोड़ रुपए ही मिले हैं, जो कुल प्रावधान का मात्र 18.07 प्रतिशत है।
योजनाओं पर असर
फंड की कमी से नए मेडिकल कॉलेज, उपस्वास्थ्य केंद्र, पीएम आवास योजना, जल जीवन मिशन और अन्य महत्वाकांक्षी योजनाओं का काम धीमा पड़ गया है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में परियोजनाओं का संचालन प्रभावित हो रहा है। अगर केंद्र से राशि नहीं आई, तो कई योजनाएं अधूरी रह सकती हैं।
