MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने राज्य की आर्थिक हालत पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर कहा है कि चालू वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में केंद्र सरकार ने प्रदेश को तय ₹44,355.95 करोड़ में से सिर्फ ₹8,027.12 करोड़ ही जारी किए हैं। यानी कुल फंड का सिर्फ 18.07% पैसा ही अब तक मिला है। पटवारी ने कहा कि यह स्थिति प्रदेश की वित्तीय सेहत और विकास योजनाओं, दोनों के लिए खतरनाक संकेत है। उन्होंने केंद्र और राज्य की “डबल इंजन सरकार” पर तंज कसते हुए कहा कि दोनों इंजन अब तालमेल में नहीं, बल्कि टकराव में हैं।
जनता भुगत रही कीमत
पत्र में पटवारी ने कहा कि भाजपा के शीर्ष नेताओं के बीच भीतरघात और आपसी खींचतान का असर अब जनकल्याण योजनाओं पर साफ दिखने लगा है। उन्होंने नाम लेकर कहा, “शिवराज सिंह चौहान, कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल और राकेश सिंह चारों दिग्गज केंद्र और राज्य के बीच की जिम्मेदारी निभाने में नाकाम साबित हुए हैं।” पटवारी ने आरोप लगाया कि भाजपा की अंदरूनी राजनीति के कारण ही प्रधानमंत्री आवास योजना, जल जीवन मिशन, पीएम ई-बस योजना, नए मेडिकल कॉलेज और केन-बेतवा परियोजना जैसी योजनाएं ठप पड़ी हैं।
भ्रष्टाचार पर भी साधा निशाना
कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी दावा किया कि जल जीवन मिशन में गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते केंद्र ने फंड रोक दिया है। उन्होंने लिखा, “जब जनता के नाम की योजनाओं पर भ्रष्टाचार की छाया पड़ जाती है, तो यह साफ है कि सरकार अब जनहित नहीं, बल्कि अपने निजी स्वार्थों के लिए काम कर रही है।”
अब तो झूठी पब्लिसिटी के लिए “सरकारी-धन” का करोड़ों खर्च करने के बाद भी @BJP4MP जनता की खुशी नहीं खरीद पा रही है!#Podcast | #Bansal_News pic.twitter.com/XcHeaVnYMa
— Jitendra (Jitu) Patwari (@jitupatwari) October 22, 2025
रखी 3 मांगें
- केंद्र से रुका हुआ फंड जल्द रिलीज करवाने के लिए ठोस पहल करें।
- भ्रष्टाचार के आरोपों की निष्पक्ष जांच कर जिम्मेदारों पर कार्रवाई करें।
- वित्तीय अभाव से रुकी योजनाओं को प्राथमिकता से आगे बढ़ाया जाए।
पटवारी ने अपने पत्र के अंत में लिखा कि जनता अब जान चुकी है कि फंड की कमी और विकास में ठहराव, दोनों ही आपकी सरकार की अक्षमता का सबूत हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से उम्मीद जताई कि वे इस विषय को राजनीतिक प्रतिष्ठा से ऊपर उठकर जनहित में गंभीरता से लेंगे। जीतू पटवारी का यह बयान न सिर्फ सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि आने वाले समय में फंड की राजनीति प्रदेश में बड़ा मुद्दा बनने वाली है।
