भोपाल | डिजिटल इंडिया की दिशा में MP ने एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है। प्रदेश में भूमि दस्तावेजों के डिजिटल पंजीकरण को लेकर शुरू की गई अभिनव पहल “संपदा 2.0” को राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस स्वर्ण पुरस्कार से नवाज़ा गया है। यह पुरस्कार भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग द्वारा “सरकारी प्रक्रिया का तकनीक से पुनर्गठन” (Government Process Re-engineering by use of technology) श्रेणी में दिया गया है।
यह उपलब्धि सिर्फ तकनीकी नवाचार नहीं, बल्कि सुशासन और नागरिक सुविधा के दृष्टिकोण से भी बेहद अहम है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर 10 अक्टूबर 2024 को यह प्रणाली लागू की गई थी, और अब यह मध्यप्रदेश को देश के डिजिटल मानचित्र पर अग्रणी राज्यों में शुमार कर रही है।
CM ने दी शुभकामनाएं
मुख्यमंत्री ने इस गौरवपूर्ण पल पर प्रदेशवासियों, वाणिज्यिक कर विभाग, महानिरीक्षक पंजीयन एवं अधीक्षक मुद्रांक और संपदा परियोजना से जुड़े सभी कर्मियों को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि संपदा 2.0 ने न केवल पेपरलेस ई-पंजीयन को संभव बनाया है, बल्कि आम नागरिकों के लिए रजिस्ट्री की प्रक्रिया को फेसलेस, पारदर्शी और सुविधाजनक बना दिया है।
देश का पहला राज्य बना MP
मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है, जहां 140 दस्तावेजों में से 75 दस्तावेजों का पूर्णतः डिजिटल पंजीकरण वीडियो के-वाई-सी से संभव हो गया है। अब दस्तावेजों के पंजीकरण के लिए उप-पंजीयक कार्यालय जाने की जरूरत नहीं रह गई है, जिससे न केवल समय की बचत हो रही है, बल्कि फर्जीवाड़े और विवादों पर भी रोक लग रही है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
मध्यप्रदेश को संपदा 2.0 सॉफ्टवेयर के लिए मिला ‘राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस स्वर्ण पुरस्कार’RM: https://t.co/fN3DlTVA5F@DrMohanYadav51@CMMadhyaPradesh @JagdishDevdaBJP #JansamparkMP #MadhyaPradesh pic.twitter.com/XgQodRV6p1
— Finance Department, MP (@mpfinancedep) August 8, 2025
उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने इसे भूमि प्रबंधन के क्षेत्र में विभाग की ऐतिहासिक पहल बताया। वहीं वाणिज्यिक कर विभाग के प्रमुख सचिव और अन्य अधिकारियों ने इस सफलता पर प्रसन्नता जताई।
स्मार्ट तकनीक
संपदा 2.0 में जीआईएस मैपिंग, ई-साइन, डिजिटल साइन, आधार आधारित पहचान, रीयल-टाइम दस्तावेज प्रारूपण, और व्हाट्सऐप/ईमेल पर रजिस्ट्री उपलब्धता जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। यह पुरस्कार 28वीं नेशनल ई-गवर्नेंस कॉन्फ्रेंस में औपचारिक रूप से प्रदान किया जाएगा, जिसकी पुष्टि केंद्र सरकार के अधिकारियों द्वारा ग्रामीण परीक्षणों और तीन-स्तरीय सत्यापन के बाद की गई है।
