MP मानव अधिकार आयोग में सोमवार को अहम फैसला लिया गया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई चयन समिति की बैठक में विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह को आयोग का प्रशासनिक सदस्य नियुक्त किया गया। इस निर्णय के साथ ही आयोग में नई नियुक्तियों की प्रक्रिया को लेकर एक बार फिर राजनीतिक और प्रशासनिक चर्चाएं तेज हो गई हैं।
टली नियुक्ति
बैठक में प्रशासनिक सदस्य के रूप में एपी सिंह के नाम पर सहमति बनी, लेकिन आयोग के अध्यक्ष और एक अन्य सदस्य की नियुक्ति की प्रक्रिया को टाल दिया गया। इस पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि केवल सदस्य की नियुक्ति करना उचित नहीं है। उनके अनुसार, आयोग की कार्यवाही बाधित न हो, इसके लिए अध्यक्ष और सदस्य दोनों की नियुक्तियां एक साथ होना जरूरी है।
सिंघार ने कार्यवाहक नियुक्तियों को सिर्फ अस्थाई समाधान बताते हुए स्थायी नियुक्तियों की मांग की। उन्होंने कहा कि आयोग जैसे संवेदनशील संस्थान में अध्यक्ष की अनुपस्थिति लंबे समय तक रहना ठीक नहीं है। इससे पीड़ितों को न्याय मिलने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सरकार को जल्द से जल्द पूर्णकालिक अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति करनी चाहिए।
एपी सिंह का कार्यकाल
एपी सिंह लंबे समय तक विधानसभा सचिवालय में महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहे हैं। सेवानिवृत्ति के बाद वे पिछले ढाई साल से संविदा पद पर सेवाएं दे रहे हैं। उनका मौजूदा कार्यकाल 30 सितंबर को पूरा हो रहा है। ऐसे में अब उन्हें आयोग में प्रशासनिक सदस्य की जिम्मेदारी सौंपे जाने से उनका अनुभव आयोग के कामकाज में उपयोगी साबित हो सकता है।
खाली पदों की चुनौती
मानव अधिकार आयोग राज्य के उन प्रमुख संस्थानों में से एक है, जहां मानव अधिकारों के हनन से जुड़े मामलों की सुनवाई होती है। लेकिन लंबे समय से अध्यक्ष और सदस्यों के पद रिक्त रहने से कामकाज प्रभावित हो रहा है। पीड़ितों को समय पर राहत और सुनवाई न मिल पाने की शिकायतें भी सामने आती रही हैं। ऐसे में अब सरकार पर दबाव बढ़ गया है कि वह आयोग में जल्द से जल्द सभी पदों पर स्थायी नियुक्तियां करे।
नई नियुक्ति के फैसले ने आयोग की सक्रियता को लेकर उम्मीदें जरूर बढ़ा दी हैं, लेकिन जब तक अध्यक्ष और अन्य सदस्य की नियुक्तियां नहीं होतीं, तब तक आयोग की कार्यवाही सुचारू रूप से चल पाना चुनौतीपूर्ण रहेगा।