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सिवनी हवाला कांड में नया मोड़, कारोबारी की पत्नी ने हाईकोर्ट में लगाई गुहार; पुलिस पर गैरकानूनी हिरासत का आरोप

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Published On: 15 October 2025

सिवनी हवाला कारोबारी से 2.96 करोड़ रुपए की लूट के मामले में अब कानूनी पेंच और उलझ गया है। इस सनसनीखेज प्रकरण में जालना निवासी गंगाबाई परमार ने अपने पति सोहनलाल परमार की रिहाई के लिए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उनके पति को अवैध रूप से कई दिनों तक हिरासत में रखा और कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया।

खंडपीठ करेगी सुनवाई

याचिका पर बुधवार को मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ सुनवाई करेगी। गंगाबाई ने अपनी याचिका में बताया कि उनके पति को 10 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था और 12 अक्टूबर को छोड़ दिया गया। लेकिन उसी दिन जालना पुलिस ने फिर से उन्हें हिरासत में लेकर सिवनी पुलिस को सौंप दिया। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस पूरी कार्रवाई के दौरान न तो ट्रांजिट रिमांड ली गई और न ही मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया, जिससे गिरफ्तारी की वैधता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

खुद फंसता नजर आ रहा पुलिस विभाग

इस बीच पुलिस विभाग खुद इस मामले में फंसता जा रहा है। सिवनी हवाला प्रकरण में एसडीओपी पूजा पांडे, एसआई अर्पित भैरम सहित कुल नौ पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। दो पुलिसकर्मी अब भी फरार बताए जा रहे हैं, जिनकी तलाश में कई जिलों में दबिश दी जा रही है।

यह पूरा मामला तब सामने आया जब सिवनी पुलिस ने हवाला कारोबारी सोहन परमार से करीब 2.96 करोड़ रुपए जब्त किए थे, लेकिन आधिकारिक रिकॉर्ड में सिर्फ 1.45 करोड़ रुपए दिखाए गए। इतना ही नहीं, कारोबारी को बिना किसी ठोस कार्रवाई के छोड़ दिया गया और इस घटना की जानकारी वरिष्ठ अफसरों को भी नहीं दी गई।

मचा हड़कंप

जैसे ही मामला खुला पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया। जांच के दौरान 9 अक्टूबर की रात को आईजी प्रमोद वर्मा ने थाना प्रभारी अर्पित भैरम समेत नौ पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। अगले दिन डीजीपी कैलाश मकवाना ने एसडीओपी पूजा पांडे को भी सस्पेंड करने के आदेश जारी किए।

अब जब पीड़ित की पत्नी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, तो मामले ने नया मोड़ ले लिया है। अदालत में आज होने वाली सुनवाई से यह तय होगा कि क्या गिरफ्तारी और पुलिस की कार्रवाई वैधानिक थी या फिर मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है। पूरे मामले पर अब राज्य पुलिस मुख्यालय की भी नजर है, क्योंकि इसमें विभाग के भीतर ही भ्रष्टाचार और आपराधिक मिलीभगत के गंभीर आरोप सामने आ चुके हैं।

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