मेडिकल स्टोर्स पर अब मनमानी नहीं चलेगी। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) ने देशभर के सभी राज्यों को निर्देश जारी किए हैं कि हर मेडिकल स्टोर पर फार्मासिस्ट का रहना अनिवार्य होगा। अगर कोई मेडिकल स्टोर बिना पंजीकृत फार्मासिस्ट के दवाइयां बेचता पाया गया, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
3 महीने की जेल
काउंसिल के नोटिस के अनुसार, किसी भी मेडिकल स्टोर पर दवा वितरण या बिक्री का काम केवल रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट ही कर सकता है। अगर कोई दुकान बिना फार्मासिस्ट के चलती पाई गई, तो स्टोर मालिक को तीन महीने की सजा या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
इसके साथ ही ऐसे स्टोर का लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है।
लगेगी रोक
काउंसिल ने स्पष्ट कहा है कि मेडिकल स्टोर किसी भी मरीज को डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बिना दवा नहीं दे सकते। खासकर एंटीबायोटिक, स्लीपिंग पिल्स, दर्द निवारक और हार्मोनल दवाएं जैसी दवाओं की बिक्री बिना पर्ची के बिल्कुल मना होगी।
अगर कोई फार्मासिस्ट या दुकानदार ऐसा करता है, तो उसे भी लाइसेंस रद्द और कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
दवा बेचने की मनाही
फार्मेसी काउंसिल ने कहा है कि कोई भी गैर-पंजीकृत व्यक्ति, यानी जिसे फार्मेसी की डिग्री नहीं है और जो रजिस्टर्ड नहीं है, वह दवा वितरण या बिक्री का काम नहीं कर सकता।
कई जगह यह देखा गया है कि दुकानों पर अस्थायी कर्मचारी या रिश्तेदार दवाएं बेच रहे हैं, जिससे गलत दवा देने या डोज़ की गलती की संभावना बढ़ जाती है। अब इस पर पूरी तरह रोक रहेगी।
लाइसेंस होगा रद्द
स्वास्थ्य विभाग और ड्रग इंस्पेक्टर समय-समय पर मेडिकल स्टोर्स की जांच करेंगे। अगर निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि स्टोर पर फार्मासिस्ट मौजूद नहीं है या बिना पर्ची दवा दी जा रही है, तो उस स्टोर का लाइसेंस तुरंत निलंबित या रद्द कर दिया जाएगा।
जनहित में उठाया गया कदम
फार्मेसी काउंसिल ने कहा कि यह कदम जनहित में और मरीजों की सुरक्षा के लिए जरूरी है। कई बार गलत दवा या गलत मात्रा देने से मरीजों की जान तक चली जाती है। इसलिए अब हर मेडिकल स्टोर को यह सुनिश्चित करना होगा कि फार्मासिस्ट हमेशा मौजूद रहे और हर दवा डॉक्टर के परामर्श के अनुसार ही दी जाए।