देवास के खिवनी अभ्यारण्य इलाके में आदिवासियों पर हुए अन्याय और शोषण के खिलाफ कांग्रेस ने बड़ा आंदोलन शुरू किया। इसी कड़ी में कांग्रेस नेता राहुल इनानिया के नेतृत्व में सैकड़ों आदिवासियों ने देवास से लेकर भोपाल तक “आदिवासी बचाओ, अधिकार दिलाओ – न्याय पदयात्रा” निकाली। इस पदयात्रा का मकसद था आदिवासियों की आवाज सरकार तक पहुंचाना और उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना।
लेकिन इस पदयात्रा को लेकर देवास प्रशासन का रवैया सवालों के घेरे में है। बताया जा रहा है कि पदयात्रा पर FIR दर्ज की गई थी, मगर इस कार्रवाई को 48 दिन तक छुपाकर रखा गया। जब यह बात सामने आई तो कांग्रेस ने सरकार पर तीखा हमला बोला। राहुल इनानिया ने आरोप लगाया कि मोहन सरकार आदिवासियों की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है और प्रशासन पूरी तरह से तानाशाही रवैया अपनाए हुए है।
कांग्रेस नेता राहुल इनानिया बोले
इनानिया ने वीडियो संदेश जारी कर कहा, “मोहन जी, क्या अब आदिवासियों के न्याय की बात करना गुनाह हो गया है? जब आदिवासी अपने हक की आवाज उठाते हैं तो उन पर मुकदमे लाद दिए जाते हैं। सरकार के दबाव में प्रशासन 48 दिन तक FIR छुपा कर बैठा रहा। यह लोकतंत्र नहीं, तानाशाही है।”
आदिवासियों के हक की लड़ाई
पदयात्रा के दौरान आदिवासी समाज ने जमीन, जंगल और रोज़गार से जुड़े अपने हक की मांग जोर-शोर से उठाई। उनका कहना है कि विकास के नाम पर लगातार उनका विस्थापन किया जा रहा है, लेकिन उन्हें मुआवज़ा, जमीन या रोज़गार कुछ भी नहीं मिल रहा। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि सरकार की नीतियों से आदिवासी समाज हाशिये पर धकेला जा रहा है और जब वे विरोध करते हैं तो उन पर मुकदमे दर्ज किए जाते हैं।
देवास के खिवनी अभ्यारण्य में आदिवासियों पर हुए अन्याय के विरोध में, कांग्रेस नेता राहुल इनानिया के नेतृत्व में क्षेत्र के आदिवासियों ने राजधानी तक “आदिवासी बचाओ, अधिकार दिलाओ – न्याय पदयात्रा” निकाली।
लेकिन इस पदयात्रा पर देवास प्रशासन ने FIR दर्ज करवाई,
जिसे 48 दिनों तक छुपा कर… pic.twitter.com/8815vk1Xuc— MP Congress (@INCMP) September 18, 2025
लड़ाई जारी रहेगी
कांग्रेस ने साफ कहा है कि यह लड़ाई यहीं खत्म नहीं होगी। राहुल इनानिया ने चेतावनी दी कि अगर सरकार आदिवासियों की मांगों को नजरअंदाज करती रही तो आंदोलन को और बड़ा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि न्याय पदयात्रा सिर्फ शुरुआत है, आगे जरूरत पड़ी तो राज्यभर में आदिवासी समाज के साथ मिलकर और बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।
अब देखना होगा कि सरकार और प्रशासन इस मामले पर क्या रुख अपनाते हैं। क्या आदिवासियों को उनका हक मिलेगा या यह मामला भी सिर्फ राजनीति तक सीमित रह जाएगा?
