भोपाल | एशिया की सबसे बुजुर्ग मानी जाने वाली हथनी वत्सला का मंगलवार को पन्ना टाइगर रिजर्व में निधन हो गया। अनुमानित तौर पर उसकी उम्र 100 वर्ष से अधिक थी। वत्सला लंबे समय से रिजर्व के हिनौता परिक्षेत्र में रह रही थी और पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र रही थी।
पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने बताया कि वत्सला के आगे के पैर के नाखून टूट जाने के कारण वह खैरईयां नाले के पास बैठ गई थी। वनकर्मियों द्वारा उसे खड़ा करने के प्रयास किए गए, लेकिन दोपहर में उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद रिजर्व के अधिकारियों और कर्मचारियों की मौजूदगी में उसका विधिवत अंतिम संस्कार किया गया।
केरल से आई थी वत्सला
वत्सला मूलतः केरल से लाई गई थी और पहले नर्मदापुरम में रही, बाद में उसे पन्ना लाया गया। अत्यधिक वृद्धावस्था के कारण उसकी आंखों की रोशनी कम हो गई थी और वह अधिक दूरी तक चलने में सक्षम नहीं थी। इस कारण गश्ती कार्यों में उसे शामिल नहीं किया जाता था। उसे हिनौता हाथी कैंप में रखा गया था, जहां नियमित देखरेख और खान-पान की व्यवस्था की गई थी। प्रतिदिन खैरईयां नाले तक उसे स्नान के लिए ले जाया जाता था और भोजन में दलिया दिया जाता था।
‘वत्सला’ का सौ वर्षों का साथ आज विराम पर पहुंचा। पन्ना टाइगर रिज़र्व में आज दोपहर ‘वत्सला’ ने अंतिम सांस ली।
वह मात्र हथिनी नहीं थी, हमारे जंगलों की मूक संरक्षक, पीढ़ियों की सखी और मप्र की संवेदनाओं की प्रतीक थीं।
टाइगर रिज़र्व की यह प्रिय सदस्य अपनी आंखों में अनुभवों का सागर… pic.twitter.com/u8a6ZBAKEj
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) July 8, 2025
किया करती थी नेतृत्व
पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक ने बताया कि वत्सला हमेशा अन्य हथिनियों के प्रसव के दौरान उनके साथ रहती थी और दादी या नानी की भूमिका निभाती थी। वह दल की सबसे बुजुर्ग सदस्य होने के नाते हाथियों के झुंड का नेतृत्व भी करती थी।
होता था स्वास्थ्य परीक्षण
वन्यप्राणी चिकित्सकों और विशेषज्ञों द्वारा समय-समय पर उसका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता रहा, जिससे वह पन्ना के शुष्क और विरल वन क्षेत्र में दीर्घायु रह सकी। वत्सला का पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ पुनर्स्थापना योजना में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। बता दें कि वत्सला की मृत्यु को वन विभाग और रिजर्व प्रबंधन ने अपूरणीय क्षति बताया है।
