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AIIMS भोपाल के पैरामेडिकल छात्रों को मिला प्रैक्टिकल ट्रेनिंग का अनुभव, डेंगू-मलेरिया पर दी गई अहम जानकारी

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Published On: 7 November 2025

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) भोपाल के पैरामेडिकल छात्रों के लिए शुक्रवार का दिन कुछ अलग रहा। जिला मलेरिया कार्यालय में वाहक जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (Vector Borne Disease Control Programme) के तहत एक विशेष प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया, जिसमें छात्रों ने मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया और फाइलेरिया जैसे रोगों के बारे में विस्तार से सीखा। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य था कि भावी नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ केवल किताबों तक सीमित न रहे, बल्कि उन्हें मैदानी स्तर पर इन रोगों की पहचान, रोकथाम और नियंत्रण की वास्तविक जानकारी भी मिल सके।

जिला मलेरिया अधिकारी ने दी विस्तृत जानकारी

प्रशिक्षण सत्र की शुरुआत जिला मलेरिया अधिकारी समृता नामदेव ने की। उन्होंने छात्रों को पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के ज़रिए बताया कि वाहक जनित रोग कैसे फैलते हैं, उनके लक्षण क्या होते हैं और इनसे बचाव के लिए कौन से कदम सबसे प्रभावी हैं। उन्होंने कहा, “डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों से बचाव केवल दवा से नहीं, बल्कि जागरूकता से भी संभव है। अगर हम अपने आस-पास मच्छरों के पनपने की जगह खत्म कर दें, तो आधी लड़ाई वहीं जीत ली जाती है।” समृता नामदेव ने छात्रों को रोग नियंत्रण की सरकारी योजनाओं, सर्वे प्रक्रिया, मच्छर जनित बीमारियों की पहचान और सैंपल जांच से जुड़ी तकनीकी जानकारी भी दी।

एम्स की एचओडी भी रहीं मौजूद

कार्यक्रम में एम्स भोपाल की नर्सिंग विभाग की प्रमुख (एचओडी) मैक्सी मार्टिस भी मौजूद रहीं। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि इस तरह के फील्ड ट्रेनिंग सत्र छात्रों को किताबों से परे वास्तविक दुनिया की समझ देते हैं।

उन्होंने कहा, “हेल्थ सेक्टर में काम करने वाले हर व्यक्ति को जमीनी स्तर पर यह समझना जरूरी है कि मरीज तक पहुंचने से पहले ही बीमारी को कैसे रोका जा सकता है। यह ट्रेनिंग उसी दिशा में एक अहम कदम है।”

छात्रों ने लिया फील्ड एक्सपोज़र का अनुभव

प्रशिक्षण में एम्स भोपाल के एमएससी और बीएससी नर्सिंग के दर्जनों छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। छात्रों ने पोस्टर, प्रेजेंटेशन और सवाल-जवाब सत्र के माध्यम से रोग नियंत्रण के विभिन्न पहलुओं को समझा। स्टाफ ने उन्हें बताया कि कैसे नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग मिलकर मच्छरजनित रोगों पर काम करते हैं, कैसे लार्वा सर्वे किया जाता है और क्या कदम उठाए जाते हैं जब किसी क्षेत्र में संक्रमण की पुष्टि होती है।

भविष्य के स्वास्थ्य कर्मियों के लिए सीख

कार्यक्रम के अंत में जिला मलेरिया अधिकारी ने छात्रों को इस बात के लिए प्रेरित किया कि वे प्रशिक्षण के बाद अपने-अपने क्षेत्रों में लोगों को स्वच्छता और मच्छर नियंत्रण के प्रति जागरूक करें। उन्होंने कहा, “हम सबको मिलकर काम करना होगा तभी मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों से मुक्ति मिल सकेगी। यह प्रशिक्षण केवल एक दिन का नहीं बल्कि आगे के जीवन में जिम्मेदारी निभाने की शुरुआत है।”

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