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MP में चल रहा अजब खेल, 3 महीने में डॉक्टर बन रहे लोग; 35 हजार में बिक रही डिग्री

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Published On: 27 October 2025

मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर (MP) बनने की राह कोई आसान नहीं होती। छह साल की पढ़ाई, दिन-रात की मेहनत और मुश्किल इम्तिहान पार करने के बाद ही किसी को एमबीबीएस की डिग्री मिलती है। सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई का खर्च भले थोड़ा कम हो, लेकिन सरकार को एक डॉक्टर तैयार करने में करीब 50 लाख रुपए खर्च करने पड़ते हैं। वहीं प्राइवेट कॉलेजों में ये खर्च 1 से 1.5 करोड़ रुपए तक पहुंच जाता है।

पर अब सोचिए, अगर कोई सिर्फ 35 हजार रुपए देकर तीन महीने में डॉक्टर बन जाए, तो क्या आप उस पर भरोसा कर पाएंगे? यही हो रहा है मध्य प्रदेश में। यहाँ खुलेआम कुछ संस्थान ऐसे कोर्स चला रहे हैं, जो दावा करते हैं कि वे लोगों को “डॉक्टर” बना रहे हैं, वो भी बस तीन महीने में!

बिना मान्यता के कोर्स

सबसे हैरानी की बात यह है कि सरकार ने इन कोर्सों को किसी भी तरह की मान्यता नहीं दी है। मेडिकल काउंसिल या स्वास्थ्य विभाग की सूची में इनका नाम तक नहीं है। फिर भी ये संस्थान धड़ल्ले से चल रहे हैं, और भोले-भाले लोग इनके झांसे में आकर पैसे देकर “डॉक्टर” बन रहे हैं। कोर्स पूरा करने के बाद इन लोगों को फर्जी डिग्री सर्टिफिकेट थमा दिया जाता है, जिसके दम पर वे छोटे क्लीनिक या दवा दुकानों में बैठकर मरीजों का इलाज करने लगते हैं। कुछ तो खुद को “ग्रामीण चिकित्सा विशेषज्ञ” बता रहे हैं, ताकि लोगों को भरोसा दिला सकें।

मरीजों की जान से खिलवाड़

इन झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज से कई लोगों की हालत बिगड़ चुकी है। गलत दवाएं, गलत इंजेक्शन और गलत जांच रिपोर्ट सबकुछ इन “फर्जी डॉक्टरों” के भरोसे चल रहा है। हालत ये है कि अब गाँवों से लेकर छोटे कस्बों तक ऐसे “डॉक्टर” मिल जाएंगे जो खुद यह तक नहीं जानते कि किसी दवा का साइड इफेक्ट क्या होता है। कई बार तो मरीजों की हालत इतनी बिगड़ जाती है कि बाद में उन्हें शहर के बड़े अस्पतालों में भर्ती कराना पड़ता है। असली डॉक्टर कहते हैं “डिग्री सिर्फ कागज नहीं होती, ये जिम्मेदारी होती है। तीन महीने में कोई डॉक्टर नहीं बन सकता।”

सरकार के लिए बड़ा सवाल

अब सवाल उठता है कि जब राज्य सरकार खुद इन कोर्सों को मान्यता नहीं देती, तो आखिर ये संस्थान कैसे चल रहे हैं? क्या प्रशासन को इनकी जानकारी नहीं है या फिर जानबूझकर आँखें मूंद ली गई हैं? अगर ऐसे “फर्जी डॉक्टर” यूँ ही मरीजों का इलाज करते रहे, तो न सिर्फ लोगों की जिंदगी खतरे में रहेगी बल्कि असली डॉक्टरों की मेहनत और पेशे की गरिमा पर भी दाग लगेगा।

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