MP में राजनीति इस समय किसानों की खाद किल्लत पर गरमाई हुई है। एक ओर किसान खाद की कमी से परेशान होकर सड़कों पर उतर आए हैं, तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री मोहन यादव की पुलिस किसानों पर लाठियां बरसाती नजर आ रही है। कांग्रेस ने इसे सरकार की नाकामी बताते हुए बड़ा हमला बोला है।
दर-दर भटक रहे किसान
भोपाल में प्रेस वार्ता कर कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रदेश की रीढ़ किसान हैं, लेकिन यही किसान खाद के लिए दर-दर भटक रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन सालों में 16.25 लाख मीट्रिक टन यूरिया और 7.11 लाख मीट्रिक टन डीएपी बची बताई गई थी, तो आखिर किसानों तक खाद क्यों नहीं पहुँची? उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से जवाब माँगा कि खाद सरप्लस होने के बावजूद किसानों को खाली हाथ क्यों लौटना पड़ा।
कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सरकार किसानों को सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करती है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान पंजाब घूम रहे हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के किसानों की सुध लेने का समय उनके पास नहीं है। वहीं, मुख्यमंत्री मोहन यादव स्कूटी बांटने में व्यस्त हैं, अगर वे उसी समय किसानों को खाद की बोरी बाँटते तो किसान आज परेशान न होते। विपक्ष ने यह भी कहा कि सरकार ने खाद वितरण की कोई ठोस योजना ही नहीं बनाई। खरीफ और रबी सीजन की जरूरत का मूल्यांकन नहीं हुआ, ज़िला और ब्लॉक स्तर से सही जानकारी नहीं जुटाई गई। नतीजा यह हुआ कि खाद की मांग और आपूर्ति के बीच भारी असंतुलन पैदा हो गया और किसान अफरा-तफरी में इधर-उधर भटकने लगे।
मध्यप्रदेश में खाद को लेकर मची अफरा-तफरी बताती है कि सरकार ने खाद के माँग निर्धारण की कोई ठोस या वैज्ञानिक योजना ही नहीं बनाई।
– सरकार ने खाद वितरण पर कोई ठोस योजना नहीं बनाई
. खरीफ और रबी सीजन का मूल्यांकन नहीं हुआ
. ज़िला और ब्लॉक स्तर से ज़रूरत की जानकारी नहीं जुटाई गई
.… pic.twitter.com/YRq75nB7Zf— Umang Singhar (@UmangSinghar) September 11, 2025
सरकार कर रही लीपापोती
कांग्रेस का कहना है कि मोहन सरकार किसानों पर लाठियां बरसा रही है, लेकिन कालाबाजारी रोकने के लिए कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया। इससे साफ है कि सरकार लीपापोती और भाषणबाजी में ज्यादा विश्वास करती है, जबकि किसानों के आंसू पोंछने का उसके पास कोई रोडमैप नहीं है।
