कांग्रेस पार्टी में राजनीतिक हिस्सेदारी को लेकर रविवार को रीवा के एक होटल में विप्र चिंतन बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, मऊगंज और मैहर जिलों के करीब 122 वरिष्ठ विप्र कांग्रेस नेता शामिल हुए। सभी ने एक स्वर में कहा कि कांग्रेस संगठन में लंबे समय से विप्र समाज की अनदेखी की जा रही है और अब यह मुद्दा पार्टी हाईकमान तक पहुंचाया जाएगा।
कांग्रेस पर उपेक्षा का आरोप
बैठक का आयोजन वरिष्ठ नेता गिरिजेश पाण्डेय और विनोद शर्मा की अगुवाई में हुआ। नेताओं ने कहा कि प्रदेश की तीनों लोकसभा क्षेत्रों में विप्र समाज की भागीदारी को नजरअंदाज करना सीधे-सीधे पूरे समाज के साथ अन्याय है। उन्होंने आरोप लगाया कि संगठन सृजन अभियान के दौरान भी समाज को विश्वास में नहीं लिया गया।
एक वरिष्ठ वक्ता ने कहा कि हम कांग्रेस की रीढ़ माने जाते हैं, लेकिन जब टिकट और संगठनात्मक हिस्सेदारी की बारी आती है तो हमें पीछे कर दिया जाता है। यह रवैया अगर नहीं बदला गया तो पार्टी को नुकसान उठाना पड़ेगा।
हाईकमान तक ले जाया जाएगा प्रस्ताव
बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुआ कि कांग्रेस हाईकमान के सामने यह विषय रखा जाएगा। नेताओं का कहना था कि यह सिर्फ राजनीतिक हिस्सेदारी का मामला नहीं है, बल्कि समाज के आत्मसम्मान का प्रश्न है। अगर कांग्रेस खुद को सभी वर्गों की पार्टी बताती है, तो विप्र समाज की आवाज को भी बराबरी से सुना और मान्यता दी जानी चाहिए।
चेतावनी और संकल्प
बैठक में मौजूद चिंतकों ने साफ चेतावनी दी कि विप्र समाज की उपेक्षा का असर सीधे चुनावी समीकरणों पर पड़ेगा। अगर कांग्रेस इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेती, तो आने वाले चुनावों में पार्टी को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
साथ ही बैठक में यह संकल्प भी लिया गया कि विप्र समाज कांग्रेस को सत्ता में वापसी दिलाने के लिए पूरी ताकत से संघर्ष करेगा। नेताओं ने कहा कि समाज को अब अपने हक और हिस्सेदारी के लिए और ज्यादा मुखर होना होगा।
सम्मान और एकजुटता का संदेश
कार्यक्रम के दौरान सभी प्रतिभागियों का विप्र सम्मान किया गया। यह कदम समाज के भीतर एकता और आत्मबल बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। नेताओं ने कहा कि अब समय आ गया है कि विप्र समाज एकजुट होकर राजनीति में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराए।
