MP के ज्यादातर इलाकों में हुई लगातार बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है। खेतों में खड़ी फसलें पानी में डूब गईं और जो फसलें कट चुकी थीं, वो भीगकर सड़ने लगी हैं।
कोदो, कुटकी और रागी जैसी खरीफ फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं। किसानों का कहना है कि करीब 30 फीसदी नुकसान का अनुमान है, लेकिन असल नुकसान इससे कहीं ज़्यादा है। श्योपुर में किसान ने जान दे दी।
मऊगंज जिले में हालात सबसे खराब बताए जा रहे हैं। मऊगंज, हनुमना और नईगढ़ी इलाकों में खेतों में पानी भर गया है। जिन किसानों ने फसल काटकर रख ली थी, उनकी उपज अब खेतों में ही सड़ने की कगार पर है। सीधी जिले में धान की बालियां झुक गई हैं, कई जगह फसलें गिर पड़ी हैं। अगर पानी कुछ दिन और जमा रहा, तो धान का उत्पादन आधा रह जाएगा।
विधायक बोले
श्योपुर जिले से एक दर्दनाक खबर आई है। यहां के किसान कैलाश मीणा ने धान की फसल खराब होने से परेशान होकर फांसी लगा ली। गांव में माहौल ग़मगीन है। कांग्रेस विधायक बाबू जंडेल किसानों से मिलने पहुंचे और उन्होंने कहा कि जब तक किसानों को उचित मुआवजा नहीं मिलेगा, मैं जूते नहीं पहनूंगा। उन्होंने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया और सरकार से तुरंत राहत देने की मांग की।
सरकारी रिपोर्ट में फर्क
नर्मदापुरम के डिप्टी कलेक्टर देवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि 273 गांवों में करीब 32 हजार 700 हेक्टेयर जमीन पर फसलें प्रभावित हुई हैं। तहसील स्तर पर किए गए आकलन के मुताबिक नुकसान करीब 78 करोड़ रुपए का है। वहीं, हरदा जिले के किसान संगठनों का कहना है कि ग्राम सभाओं में हमने 70% नुकसान का प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन प्रशासन की रिपोर्ट में नुकसान बहुत कम दिखाया गया है।
नेता विपक्ष ने भी लिखा पत्र
पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर किसानों को तत्काल मुआवजा देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि चंबल अंचल में ज्वार, बाजरा, उड़द और मूंग की 80% फसलें चौपट हो चुकी हैं। किसानों को मुआवजा नहीं मिला तो वे बीज और खाद के कर्ज भी नहीं चुका पाएंगे।
एक ओर किसान कर्ज और नुकसान से परेशान हैं, दूसरी ओर सरकारी सर्वे की रफ्तार धीमी है। अगर जल्द राहत नहीं मिली तो आने वाले दिनों में किसानों का गुस्सा सड़कों पर उतरना तय है। किसानों की एक ही मांग है कि हम मेहनत करते हैं, बस हमारा हक दिला दो।
